Jagannath Rath Yatra : रथ यात्रा के बाद इन चीजों में होता है पहियों एवं शेष लकड़ियों का इस्तेमाल जानिए
Jagannath Rath Yatra : ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का बेहद भव्य आयोजन किया जाता है। हर साल यह यात्रा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है। इस उत्सव के दौरान भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र अलग-अलग रथों पर सवार होकर अपनी मौसी के घर जाते हैं।
इस तरह होता है रथ की लकड़ियों का इस्तेमाल
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भगवान जगन्नाथ के रथ में 16 पहिए, बलभद्र के रथ में 14 पहिए और सुभद्रा के रथ में 12 पहिए होते हैं। रथों को बेहद सुंदर तरीके से बनाया जाता है। इन रथों को बनाने की प्रक्रिया अक्षय तृतीया से होती है। इन्हें नीम के पेड़ की लकड़ियों की मदद से बनाया जाता है। यात्रा के बाद रथों की लकड़ी का इस्तेमाल भगवान जगन्नाथ मंदिर की रसोई में प्रसाद बनाने के लिए किया जाता है। वहीं, तीनों के रथों के पहियों को भक्तों में बेच दिया जाता है।
इस दिन से शुरू हो रही है रथ यात्रा
पंचांग के अनुसार, According to the almanac, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 07 जुलाई, 2024 को सुबह 04 बजकर 26 मिनट पर हो रहा है। वहीं, इस तिथि का समापन 08 जुलाई, 2024 को सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का अधिक महत्व है। ऐसे में वर्ष 2024 में जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 07 जुलाई से हो रही है।
भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व
स्कंद पुराण में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के बारे वर्णन किया गया है। इस पुराण के अनुसार, जो इंसान रथ यात्रा के दौरान को भगवान जगन्नाथ के नाम का जप-कीर्तन करता हुआ गुंडीचा नगर तक जाता है, उसे पुनर्जन्म से छुटकारा मिलता है। साथ ही इस उत्सव में शामिल होने से व्यक्ति की सभी मुरादें पूरी होती हैं और संतान प्राप्ति में आ रही समस्याएं दूर होती हैं।