गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु का कारण बन सकती हैं ये 4 चीजें

गरुड़ पुराण को किसी की मृत्यु के बाद पढ़ने और सुनने का चलन है

Update: 2021-07-29 06:01 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | गरुड़ पुराण को किसी की मृत्यु के बाद पढ़ने और सुनने का चलन है क्योंकि इस महापुराण में मृत्यु और मृत्यु के बाद की स्थितियों को उजागर किया गया है. इस कारण तमाम लोग गरुड़ पुराण का नाम सुनते ही घबरा जाते हैं. लेकिन याद रखिए किसी भी धर्म शास्त्र या ग्रंथ का उद्देश्य लोगों को डराना नहीं होता, बल्कि सभी ग्रंथ हमें धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं.

गरुड़ पुराण में भी​ सिर्फ मृत्यु के बाद के रहस्यों को ही नहीं बताया गया है, बल्कि तमाम नीति और नियमों के बारे में भी बताया गया है, ताकि व्यक्ति समय रहते सही और गलत का फर्क समझ ले और अपने कर्मों को सुधार ले. इसके अलावा गरुड़ पुराण में लाइफ मैनेजमेंट की भी तमाम बातों का जिक्र किया गया है. जानिए ऐसी 4 चीजों के बारे में जो व्यक्ति की मृत्यु की वजह बन सकती हैं.

1. दुष्ट मित्र

सच्चा मित्र जीवनभर की पूंजी होता है, लेकिन अगर मित्र दुष्ट निकल आए तो आपके जीवन के लिए बहुत घातक हो जाता है. ऐसे लोग सिर्फ अपनी भलाई के विषय में सोचते हैं और मौका पड़ने पर आपको ​नुकसान पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं. ये लोग सिर्फ मुंह पर मित्र होने का ढोंग करते हैं. इन पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए. ऐसे लोगों की पहचान कर इन्हें जल्द ही खुद से दूर कर देना चाहिए.

2. बुरे स्वभाव की पत्नी

कहते हैं कि जीवन संगिनी अगर अच्छी हो तो आपका पूरा जीवन संवार देती है, लेकिन अगर वो खराब स्वभाव वाली हो, तो सब कुछ बिगाड़ देती है. ऐसी महिला अपना हित साधने के लिए किसी के साथ कुछ भी कर सकती है. ऐसे में उस महिला से खुद की रक्षा के लिए आपको सजग रहना चाहिए.

3. विवाद करने वाला नौकर

जो नौकर आपसे बात करने में संकोच नहीं करता, विवाद करने में नहीं हिचकता, उसे फौरन नौकरी से निकाल देना चाहिए क्योंकि नौकर आपके घर के भेद को बहुत अच्छी तरह से जानता है. यदि वो आपसे किसी बात पर चिढ़ गया तो आपकी जान को हानि पहुंचाने में भी संकोच नहीं करेगा.

4. जहां सर्प का निवास है

जिस घर में आप रहते हैं और सर्प भी रहता है, वहां आपकी जान को खतरा बना रहता है. जरा सी चूक आपको भारी पड़ सकती है. अगर धोखे से भी आपका पैर अगर सांप पर पड़ गया तो वो आपको काटे बगैर नहीं छोड़ेगा.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)


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