अगस्त में यूपीआई लेनदेन 41 प्रतिशत से बढ़कर रिकॉर्ड 14.96 अरब हुआ: एनपीसीआई
नई दिल्ली: यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) में अगस्त महीने में 41 फीसदी की वृद्धि (साल-दर-साल) के साथ रिकॉर्ड 14.96 अरब की लेनदेन हुई। जिससे कुल लेनदेन राशि 20.61 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई। यह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 31 फीसदी अधिक रही। यह जानकारी रविवार को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के आंकड़ों से मिली है।
पिछले महीने औसत दैनिक लेनदेन राशि 483 मिलियन रही, जिससे औसत दैनिक लेनदेन राशि 66,475 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। ऐसे में रिपोर्ट की मानें तो यूपीआई लेनदेन लगातार चार महीनों से 20 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है।
जुलाई में यूपीआई आधारित लेनदेन 20.64 लाख करोड़ रुपये रहा और कुल यूपीआई लेनदेन की संख्या 14.44 बिलियन रही। एनपीसीआई के आंकड़ों के अनुसार, औसत दैनिक लेनदेन 466 मिलियन रही, जबकि औसत दैनिक लेनदेन राशि 66,590 करोड़ रुपये रही। यूपीआई पर अब हर महीने 60 लाख नए उपयोगकर्ता जुड़ रहे हैं, जो यूपीआई पर रुपे क्रेडिट कार्ड और विदेशों में इसके लॉन्च से प्रेरित है। एनपीसीआई ने आने वाले वर्षों में प्रतिदिन 1 बिलियन यूपीआई लेनदेन हासिल करने का लक्ष्य भी रखा है।
यूपीआई ने इस वर्ष अप्रैल-जुलाई में लगभग 81 लाख करोड़ रुपये के लेनदेन किए, जो कि (वर्ष-दर-वर्ष) 37 प्रतिशत की आश्चर्यजनक वृद्धि है और यह दुनिया के अग्रणी डिजिटल भुगतान प्लेटफार्म से आगे है। ग्लोबल पेमेंट्स हब पेसिक्योर के आंकड़ों के अनुसार, घरेलू डिजिटल भुगतान समाधान ने प्रति सेकंड 3,729.1 लेनदेन संसाधित किए। यह 2022 में पंजीकृत प्रति सेकंड 2,348 लेनदेन की तुलना में 58 प्रतिशत की वृद्धि है। इसने लेनदेन की संख्या में चीन के अलीपे, पेपैल और ब्राजील के पीआईएक्स को पीछे छोड़ दिया।
भारत डिजिटल लेनदेन में विश्व में सबसे आगे है, जहां 40 प्रतिशत से अधिक भुगतान डिजिटल रूप से किए जाते हैं और इनमें से अधिकांश के लिए यूपीआई का उपयोग किया जाता है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के सीईओ दिलीप असबे के अनुसार, क्रेडिट ग्रोथ के कारण यूपीआई में अगले 10-15 सालों में 100 बिलियन ट्रांजेक्शन को छूने की क्षमता है। यूपीआई पर क्रेडिट पहले ही लॉन्च किया जा चुका है और कुछ ही हफ़्तों में विज्ञापन जारी कर दिए जाएंगे। हाल ही में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों से प्राप्त उत्साहजनक प्रतिक्रिया के आधार पर केंद्रीय बैंक अब "यूपीआई और रुपे को सही मायने में वैश्विक" बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।