जो लोग पहले राम के होने का सबूत मांगते थे, आज खुद सबूत दे रहे हैं: सुधांशु त्रिवेदी

Update: 2024-06-28 10:07 GMT
नई दिल्ली: राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया गया। इस दौरान भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि हमारी सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्स्थापित करने का फैसला किया।
नालंदा विश्वविद्यालय को लेकर राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि आप पुस्तकों को जला सकते हैं, इमारतों को जला सकते हैं, लेकिन भारत के ज्ञान और संस्कृति को नहीं जला सकते। जब भारत की सांस्कृतिक चेतना की बात आती है तो हमारे मन में भव्य राम मंदिर की बात भी आती है। इस बार अयोध्या की लोकसभा सीट पर हमें वांछित सफलता नहीं मिली। इसे लेकर विपक्ष के चेहरों पर चमक दिखाई पड़ती है। हमारे विरोधी बता रहे हैं कि आप अयोध्या हार गए, बस्ती हार गए, चित्रकूट हार गए, प्रयागराज हार गए, नासिक, रामटेक और रामेश्वरम हार गए।
उन्होंने कहा कि जो लोग पहले कहते थे राम हुए थे, इसका सबूत दो, वो लोग आज उत्तर से लेकर दक्षिण तक राम से जुड़े सबूत दे रहे हैं। उत्तर प्रदेश में 30 साल पहले कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बसपा ने मिलकर सरकार बनाई थी। तब एक नारा लगा था, 'मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्री राम।' हम तभी हवा में नहीं उड़े थे और कुछ समय बाद ही अपनी सरकार बना कर दिखा दी थी।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती आने वाली है, एनर्जी। वह भी ग्रीन एनर्जी। हमारी सरकार ने लक्ष्य रखा था कि 2030 तक भारत की इंस्टॉल कैपेसिटी पावर जेनरेशन का 40 प्रतिशत तक ग्रीन एनर्जी से होगा। पहले हमेशा सरकारें देर से लक्ष्य हासिल करती थी, पहली बार भारत के इतिहास में यह लक्ष्य 8 साल पहले वर्ष 2022 में हासिल कर लिया गया।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि लोगों के घर पर सोलर रूफटॉप लगेंगे। यह एक ऐसी योजना होगी, जिससे पर्यावरण पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ेगा। मुफ्त की ऊर्जा मिल रही है, वह भी सरकारी खजाने पर प्रभाव डाले बिना। हम हाइड्रोजन एनर्जी मिशन की तरफ भी आगे बढ़ रहे हैं।
इस दौरान नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बोलने के लिए खड़े हुए। खड़गे ने सत्ता पक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि आप जो बोल रहे हैं, कौन सुन रहा है आपका भाषण, हम तो नहीं सुन रहे। खड़गे ने कहा कि हमें प्वाइंट ऑफ ऑर्डर उठाने के लिए भी सरकार से इतना पूछना पड़ता है।
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