बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की कोलकाता में इस्कॉन से जुड़े लोगों ने की निंदा
कोलकाता: बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और इस्कॉन के संत चिन्मय दास की गिरफ्तारी का विरोध भारत में जोर-शोर से हो रहा है। इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने भी इसकी निंदा करते हुए वैश्विक समुदायों से इसका विरोध करने की अपील की है।
राधारमण दास ने रविवार को आईएएनएस से कहा, "हम सभी जानते हैं कि पिछले 100 दिन से बांग्लादेश में जो हो रहा है, वह सभी को दुखी कर रहा है। महाभारत में द्रौपदी की कथा में, जब उनका चीरहरण हो रहा था, तो उन्होंने अपने पति की ओर देखा और कहा कि मेरी मदद करो, अर्जुन मदद करो। फिर उन्होंने पितामह भीष्म और अन्य लोगों से मदद मांगी, लेकिन जब कोई उनकी मदद के लिए नहीं आया, तो वह भगवान से मदद के लिए प्रार्थना करने लगीं। आज हम देख रहे हैं कि बांग्लादेश के हिंदू उसी द्रोपदी की तरह, संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों से मदद की अपील कर रहे हैं, लेकिन कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है।"
उन्होंने कहा कि इस्कॉन के 150 देशों में स्थित 850 मंदिर और हजारों केंद्रों में हमारे करोड़ों भक्त द्रोपदी की तरह एकजुट होकर भगवान से प्रार्थना करेंगे। आज व्लादिवोस्तोक से लेकर लॉस एंजिल्स तक, कोलंबो से लेकर टोरंटो तक, आइसलैंड से लेकर न्यूजीलैंड तक सभी इस्कॉन भक्त भगवान के सामने सिर झुकाकर बांग्लादेश के हिंदुओं की सुरक्षा और उनकी रक्षा के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।"
एक अन्य व्यक्ति प्रीतम शाह ने कहा, "हम सभी चाहते हैं कि भारत सरकार जल्द से जल्द बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाए, क्योंकि बांग्लादेश की सरकार पूरी तरह से एक विशेष विचारधारा के कब्जे में आ चुकी है। उन्हें पूरी स्वतंत्रता मिल चुकी है कि वे कुछ भी करें, जबकि उन पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हो रही है। बांग्लादेश सरकार इतनी निष्क्रिय हो चुकी है कि हिंदू साधुओं पर अत्याचार हो रहा है, हिंदू मंदिरों पर हमले हो रहे हैं, और इसके खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। इसके अलावा, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया जा रहा है। एक इंजीनियरिंग कॉलेज के सामने भारतीय ध्वज को अपमानित किया जा रहा है। यह बहुत ही अपमानजनक और अस्वीकार्य है।"
उन्होंने कहा, "यह देखकर हमें गुस्सा आ रहा है, क्योंकि हमारा राष्ट्रीय ध्वज और हमारी भावनाएं लगातार अपमानित हो रही हैं। यह स्थिति बहुत ही खतरनाक है, और हम इसके खिलाफ आवाज उठाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मेरी अपील है कि वे इस मुद्दे पर कोई मजबूत बयान जारी करें। मैं विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी अनुरोध करता हूं कि वे भी इस बारे में एक बयान जारी करें। पहले भी इस पर कुछ बयान दिए गए थे, लेकिन अब हमें इस मामले में और ठोस कदम की जरूरत है। हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार इस मुद्दे पर प्रभावी कार्रवाई करेगी।"