रांची: बंगाल सरकार द्वारा झारखंड में आलू के निर्यात पर रोक लगाए जाने से थोक व्यापारी ऊंची कीमतों पर आलू बेच रहे हैं। इसी पर अब भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
भाजपा नेता और राज्यसभा सदस्य प्रदीप वर्मा ने कहा, “हर साल इस प्रकार की समस्याएं सामने आती हैं और बंगाल सरकार अपने राज्य के किसानों के लिए एक घातक कदम उठा रही है। अगर किसानों का उनका उत्पाद उचित दामों पर और सही बाजार तक नहीं पहुंच पाएगा, तो इससे किसानों को ही नुकसान होगा। यह कदम किसानों के लिए नुकसानदायक है, क्योंकि उनके उत्पाद का सही मूल्य और उचित वितरण नहीं हो पा रहा है। इसके साथ ही, झारखंड की जनता को भी इससे नुकसान हो रहा है, क्योंकि आलू जैसे आवश्यक खाद्य पदार्थ महंगे दामों में खरीदने पड़ रहे हैं। आलू को उत्तर प्रदेश जैसे दूर के राज्यों से मंगवाना पड़ रहा है, जो झारखंड की जनता के लिए अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाल रहा है।”
उन्होंने कहा, “राज्य सरकार को तुरंत इस मामले पर विचार करना चाहिए और हेमंत सोरेन को इस समस्या का समाधान निकालने के लिए कदम उठाना चाहिए। मुख्यमंत्री सोरने का ममता दीदी से अच्छे संबंध हैं, तो एक फोन कॉल के माध्यम से यह समस्या आसानी से हल हो सकती है।”
झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता मनोज कुमार पांडे ने कहा, “इस समय बहुत ही जटिल समस्या खड़ी हो गई है। आलू की गाड़ियाें के न आने से आलू की कीमत बढ़ रही है। जब से बंगाल से आलू की आवक पर रोक लगाई गई है, झारखंड में इसकी कीमतों में थोड़ी बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि बिहार और उत्तर प्रदेश से आलू आ रहा है, लेकिन बढ़ी हुई कीमतों से लोगों को परेशानियां हो रही हैं।”
उन्होंने कहा, “हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हमारे स्थानीय किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिले। हम चाहते हैं कि हमारे किसान अपने आलू को सही कीमत पर बेच सकें, जिससे उनकी मेहनत का सही मूल्य उन्हें मिले। हालांकि, जब बंगाल से आलू की आपूर्ति रुक जाती है, तो बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि झारखंड के लोग सिर्फ बंगाल के आलू पर निर्भर नहीं हैं। हमारा राज्य अपनी खाद्य आपूर्ति को लेकर पूरी तरह सक्षम है।”
उन्होंने कहा, “यह जो बढ़ी हुई कीमतें हैं, यह समस्या तो बनती है, लेकिन इसके बावजूद हमारा राज्य इस मुद्दे को संभालने में पूरी तरह सक्षम है। हम इस वक्त के हालात से बाहर निकलने के लिए एक अच्छे रास्ते पर हैं। पिछले कुछ समय से बारिश और पानी के वितरण के मुद्दे पर भी कुछ घटनाएं घटी थीं, जिनके कारण कुछ अन्य समस्याएं पैदा हुई थीं।”
उन्होंने कहा, “राज्य की नीति और कार्यप्रणाली अलग है। बंगाल के भीतर जो कुछ हो रहा है, वह उनकी नीति है, और उनका स्थानीय मसला है। हम इससे अधिक कुछ नहीं कह सकते, क्योंकि यह उनका राज्य है, और हम इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दे सकते। हालांकि, हमारे राज्य में जनजीवन इससे प्रभावित नहीं होगा, हमारी सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।”
उन्होंने कहा, “हमारा राज्य अपनी क्षमता के साथ यह सुनिश्चित करेगा कि यहां के लोग, खासकर हमारे किसान, उचित मूल्य पर आलू और अन्य आवश्यक वस्तुएं प्राप्त कर सकें। हम इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सरकार के साथ काम कर रहे हैं, और उम्मीद है कि जल्द ही यह समस्या हल हो जाएगी। इस तरह की स्थिति पर बातचीत अधिकारी स्तर पर हो रही है।”