पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के महंत यमुना पुरी ने कुंभ की तैयारियों पर कहा, यूपी सरकार ने बहुत अच्‍छा काम क‍िया

Update: 2024-12-02 03:23 GMT
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने वाले कुंभ 2025 के लिए अखाडों और साधु-संतों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बीच पंचायती अखाड़ा, महानिर्वाणी के महंत यमुना पुरी ने आईएएनएस से बात करते हुए कुंभ के महत्व और अपनी तैयारियों के बारे में बाताया।
उन्होंने कहा, "पंचायती अखाड़ा, महानिर्वाणी दस नाम नागा सन्यासियों का एक प्रमुख अखाड़ा है, जिसके आराध्य भगवान विष्णु के पांचवें अवतार, सिद्ध महा मुनि कपिल मुनि महाराज हैं। इस अखाड़े में सूर्य प्रकाश और भैरव प्रकाश दो प्रमुख पूजा होती है, जिन्हें धर्म रक्षा और शक्ति के स्वरूप माना जाता है। पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी एक शुद्ध लोकतांत्रिक व्यवस्था पर आधारित है, जहां हर कुंभ मेला में चुनाव होते हैं। नए श्री महंत, उप महंत और अन्य पदाधिकारी चुनाव के माध्यम से चुने जाते हैं। यह परंपरा ब्रिटिश शासन से पहले की है, जब से इस अखाड़े की स्थापना हुई है।"
उन्होंने कहा, "हमारे अखाड़े में पहले से ही लोकतांत्रिक व्यवस्था है, जिसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, महामंत्री जैसे पद होते हैं। किसी का भी एकाधिकार नहीं होता, यह एक शुद्ध पंचायती तंत्र है। पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की उत्पत्ति 805 विक्रम संवत में हुई थी। भगवान कपिल मुनि के आशीर्वाद से इस अखाड़े की स्थापना की गई और तब से अब तक लगभग 1200 वर्षों का समय बीत चुका है। इस दौरान अखाड़ा सनातन धर्म की रक्षा और परंपरा के निर्वहन में निरंतर लगा हुआ है।"
उन्होंने कहा, "कुंभ मेला, अखाड़ों से ही प्रारंभ होता है, और यही अखाड़े धर्म ध्वजाएं फहराते हैं। आज भी भारत और उत्तर प्रदेश सरकार अखाड़ों को हर संभव सहयोग प्रदान कर रही है। 2019 में बहुत अच्छी व्यवस्था थी और 2025 में भी विक्रम संवत 2081 में बहुत ही सुंदर व्यवस्था की जाएगी। सरकार और राज्य प्रशासन मिलकर मेला आयोजन की सुविधाएं सुनिश्चित कर रहे हैं, भले ही गंगा जी का जलस्तर थोड़ा देरी से उतरा हो, लेकिन अधिकारी अपने स्तर पर इसे शीघ्रता से पूरा करने के लिए पूरी तरह से जुटे हुए हैं।"
उन्होंने कहा, " कुंभ मेला, हर साल लाखों श्रद्धालुओं का आकर्षण होता है, और अखाड़े ही इस आयोजन की शुरुआत करते हैं। धर्म ध्वजाएं सदियों से फहराई जा रही हैं। कुंभ मेला का स्नान युगों से हो रहा है, लेकिन अखाड़ों की स्थापना और उनका योगदान कुंभ मेला को विशेष बनाता है। पहले ऋषि-मुनि आते थे, और राजा-महाराजाओं द्वारा उन्हें सुविधाएं दी जाती थीं, लेकिन अब राज्य सरकारें ही इन सुविधाओं का ध्यान रखती हैं। चाहे वह उज्जैन हो, हरिद्वार, नासिक या प्रयागराज, सभी स्थानों की राज्य सरकारें कुंभ मेले के आयोजन में मदद करती हैं।"
उन्होंने कहा, "जब माघ मास में कुंभ पर्व होता है, तो समस्त देवी-देवता यहां उपस्थित होते हैं। विशेष स्नान के समय, इन सभी प्रमुख तीर्थों में स्नान का पुण्य प्राप्त होता है। इसलिए, प्रयागराज का महत्व बहुत बढ़ जाता है क्योंकि यहां गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है। यह स्थल भौतिक, आध्यात्मिक और धार्मिक मिलन का प्रतीक है। भारत, जो अपने धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, उसमें प्रयागराज को सबसे पवित्र भूमि माना जाता है, क्योंकि यहां तीन प्रमुख नदियों का संगम होता है।"
उन्होंने कहा, "महाकुंभ का आयोजन इसलिए विशेष होता है, क्योंकि यहां सबसे अधिक श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। यह केवल नदियों का संगम नहीं है, बल्कि गृहस्थ समाज और सन्यासियों का भी सबसे बड़ा मिलन स्थल है। महाकुंभ का आयोजन इसलिए 'महाकुंभ' कहलाता है, क्योंकि यहां सबसे बड़ा संगम होता है और इस आयोजन की व्यापकता अद्वितीय होती है। अखाड़ों के स्नान पर्व की बात करें, तो कुंभ मेला में पांच प्रमुख स्नान होते हैं, जिनमें से तेरह अखाड़ों के लिए तीन स्नान विशेष माने जाते हैं। ये प्रमुख स्नान मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और वसंत पंचमी को होते हैं। इन दिन लाखों श्रद्धालु एकत्र होते हैं और तीर्थ स्नान करते हैं। इन स्नानों के बाद साधु संत काशी की ओर प्रस्थान करते हैं, जहां वे पंचकोसी परिक्रमा करते हैं और महादरवानी अखाड़े के साधु दर्शन करते हैं। इसके बाद, शिवरात्रि के अवसर पर जूना और पंचदस नाम के अखाड़े प्रमुख रूप से पूजा करते हैं। इसके पश्चात, महानिर्वाणी और निरंजनी अखाड़े भगवान विश्वनाथ के दर्शन करते हैं। फिर, होली के अवसर पर उत्सव मनाया जाता है और श्रद्धालु अपने-अपने स्थानों पर वापस लौट जाते हैं।"
उन्होंने कहा, "यहां की व्यवस्था की बात करें तो सरकार और अखाड़े दोनों मिलकर इसे सुचारू रूप से चलाते हैं। लाखों श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं का ध्यान रखा जाता है, जैसे लंगर, भंडारे, पूजा की व्यवस्था, और शिविरों की तैयारी। सरकार द्वारा जल, विद्युत सेवाओं, और शौचालयों की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। इस आयोजन में सरकार का योगदान बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसके माध्यम से व्यापक सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। हालांकि, हमेशा बेहतर से बेहतर की उम्मीद रहती है, और सरकार इस दिशा में निरंतर काम करती रहती है। मेला प्रशासन का उद्देश्य इस आयोजन को और बेहतर बनाना है, और हम उम्मीद करते हैं कि हर बार इस आयोजन में सुविधाओं का स्तर और भी ऊंचा होगा।"
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