दिल्ली जल बोर्ड भ्रष्टाचार मामले को ईडी की जांच के दायरे में लाना सही: मनोज तिवारी

Update: 2024-07-05 11:34 GMT
नई दिल्ली: दिल्ली जल बोर्ड भ्रष्टाचार मामले में प्रवर्तन निदेशालय की टीम एक्शन मोड में है। मुंबई, अहमदाबाद और हैदराबाद में छापेमारी की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक ईडी की टीम को छापेमारी के दौरान 41 लाख रुपये कैश बरामद हुआ है।
भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा, ''मैं समझता हूं कि यह एक अच्छा कदम है। पहली बार जल बोर्ड में भ्रष्टाचार को भी जांच एजेंसी ने अपने दायरे में लिया है। इससे दिल्ली की आंखें खुलेंगी। हम बार-बार कह रहे हैं कि दिल्ली जल बोर्ड भ्रष्टाचार का केंद्र बन गया है।''
''आम आदमी पार्टी का नेतृत्व सिर्फ भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है। वो उसको प्रोत्साहित कर रहे हैं। यह जांच का विषय है कि ईडी की छापेमारी में जो पैसे पकड़े गए हैं वो कहां से आए। इसका निराकरण होना चाहिए।''
दिल्ली जल बोर्ड कथित भ्रष्टाचार मामला कुछ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के विस्तार में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है। ईडी की टीम इस मामले की जांच कर रही है। ईडी ने छापेमारी के दौरान 41 लाख रुपये नकद समेत कुछ दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस जब्त किए हैं।
दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने इस मामले को लेकर एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसमें कई कंपनियों के ऊपर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए गए हैं। इनमें यूरोटेक एनवायरनमेंटल प्राइवेट लिमिटेड, कोरोनेशन पिलर, नरेला, रोहिणी (पैकेज 3) और कोंडली (पैकेज 4), पप्पनकला, निलोठी (पैकेज 1), नजफगढ़ और केशोपुर (पैकेज 2) कंपनियां शामिल हैं। इन पर 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के संवर्धन और उन्नयन के नाम पर डीजेबी में धांधली करने का आरोप है।
रिपोर्ट के अनुसार, 1,943 करोड़ रुपये के चार टेंडर लगभग दो साल पहले अक्टूबर, 2022 में विभिन्न संयुक्त उद्यम संस्थाओं को दिए गए थे। इनमें से सिर्फ तीन जेवी कंपनियों ने भाग लिया था।
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