बांग्लादेश ने इस्कॉन के 54 सदस्यों को भारत आने से रोका

Update: 2024-12-02 02:54 GMT
ढाका: बांग्लादेश में पुलिस ने रविवार को भारत जाने की कोशिश कर रहे अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) के 54 सदस्यों को बेनापोल सीमा चौकी से वापस भेज दिया। हालांकि, उनके पास वैध यात्रा दस्तावेज थे।
मीडिया के अनुसार, बांग्लादेश पुलिस ने 'संदिग्ध यात्रा' का हवाला देते हुए उन्हें आगे बढ़ने की इजाजत नहीं दी। कुछ लोगों ने तो यह भी दावा किया कि सीमा पर पहुंचने वाले हिंदुओं की कुल संख्या 70 से ज्यादा थी।
जानकारी के अनुसार, बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों से हिंदू श्रद्धालु शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित भूमि बंदरगाह पर पहुंचे थे। वे बेनापोल-पेट्रापोल क्रॉसिंग के माध्यम से भारत जाना चाहते थे।
बांग्लादेश के अंग्रेजी दैनिक डेली स्टार ने बेनापोल इमिग्रेशन चेकपोस्ट के प्रभारी अधिकारी इम्तियाज अहसानुल कादर भुइया के हवाले से कहा, "हमने पुलिस की विशेष शाखा से परामर्श किया और उच्च अधिकारियों से उन्हें अनुमति नहीं देने के आदेश मिले।"
प्रभारी अधिकारी ने कथित तौर पर कहा कि बांग्लादेशी अधिकारियों ने इस्कॉन के 54 सदस्यों को 'उनके यात्रा उद्देश्यों के संबंध में संदेह' के कारण भारत में प्रवेश की इजाजत नहीं दी।
समूह के कई सदस्यों को शनिवार रात से सीमा चौकी पर इंतजार करने के लिए कहा गया था। उन्होंने बताया कि वे वैध पासपोर्ट और वीजा के साथ धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भारत जा रहे थे, लेकिन रविवार को उन्हें वापस भेज दिया गया। अधिकारियों ने इस कदम का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है।
इस्कॉन के सदस्यों में से एक सौरभ तपंदर चेली ने मीडिया को बताया, "हम भारत में एक धार्मिक समारोह में हिस्सा लेने जा रहे थे, लेकिन इमिग्रेशन अधिकारियों ने सरकारी अनुमति न होने का हवाला देते हुए हमें रोक दिया।"
भारत की तरफ पेट्रापोल में इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (आईसीपी) का उद्घाटन जुलाई 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने संयुक्त रूप से किया था।
बांग्लादेश में मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन के बाद से अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा गंभीर हमले हो रहे हैं।
इस सप्ताह की शुरुआत में, बांगलादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता और इस्कॉन बांगलादेश से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और जमानत की अर्जी खारिज होने के बाद देश में अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी, लूटपाट, चोरी, तोड़फोड़ और देवी-देवताओं की प्रतिमाओं तथा मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले सामने आए हैं।
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