खगोलविदों को मिले Black Hole के सबसे स्पष्ट संकेत, जानें क्यों अहम है ये खोज

Update: 2020-09-25 12:42 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| खगोलविदों के लिए ब्लैकहोल (Black Hole) ब्रह्माण्ड (Universe) की सबसे उलझी हुई चीजें हैं. इनसे कोई भी जानकारी सीधे तौर पर हासिल नहीं हो सकी है. ये एक अदृश्य सीमा के अंदर होते हैं जिसे इवेंट होराइजन (Event Horizon) कहते हैं. इसके अंदर से प्रकाश तक बाहर नहीं निकल पाता है. लेकिन हाल ही में हुए एक शोध में खगोलभौतिकविदों ने इवेंट होराइजन के ऐसे संकेतों (Signatures) को पकड़ा है,  जिससे वे खास तौर पर अपने आकार के न्यूट्रॉन तारों (Neutron stars) से अलग पहचाने जा सकते हैं.

एक ही ब्लैक होल की ली जा सकी है तस्वीर
ब्लैकहोल के बारे में संपूर्ण जानाकरी हासिल करना आज के भौतिक और खगोल विज्ञान के सबसे चुनौतीपूर्ण लक्ष्यों में से एक है. अभी तक केवल एक ही सुपरमासिव ब्लैकहोल जो जिसका भार 6 अरब सूर्यों के बराबर है की तस्वीर ली जा सकी है. इसके लिए उस ब्लैकहोल के आसपास के रेडियो विकरणों का उपयोग किया गया था.

ब्लैकहोल को पहचनाने के खास संकेत
इस अध्ययन में अंतरराष्ट्रीय भौतिकखगोलविदों की एक टीम ने जो संकेत पकड़े हैं वे  स्पष्ट तौर से इवेंट होराइडन को न्यूट्रॉन तारे से अलग करते हैं. न्यूट्रॉन तारे आकार और भार में तो ब्लैकहोल जैसे होते हैं लेकिन ये ठोस सतह में सीमित होते हैं. इस शोध को मंथली नोटिसेस ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी जर्नल में प्रकाशन के लिए स्वीकार कर लिया गया है.

अब तक के सबसे पुष्ट संकेत
ये संकेत अब तक तारों के आकार के ब्लैक होल (stellar-mass black holes) के बारे में पकड़े गए स्पष्ट और सबसे पुष्ट प्रमाण के तौर पर देखे जा रहे हैं. ये तारों के भार के ब्लैक होल सूर्य के भार से दस गुना ज्यादा के होते हैं, लेकिन ये अपने आसपास के स्पेसटाइम को सुपरमासिव ब्लैकहोल की तुलना में करीब दस लाख खरब गुना ज्यादा विकृत कर सकते हैं.

एक अहम खोज
इसलिए इस तरह के ब्लैकहोल अध्यनन के लिहाज से बहुत अहम होते हैं. जब इस तरह के ब्लैकहोल्स का विलय होता है तो उनके बारे में गुरूत्व तरंगों से पता चल सकता है. ऐसी तरंगें बहुत ही कम समय के लिए पैदा होती हैं. ऐसे में ब्लैक होल की मौजूदकी का स्पष्ट प्रमाण हासिल करने का जरिया एक बहुत ही अहम खोज मानी जा रही है.

कैसे मिले ये संकेत
खगोलविदों में एक स्थायी तारे के भार के ब्लैकहोल की मौजूदगी का प्रमाण मिलने से उत्साहित हैं. यह ब्लैकहोल पास के तारे की सामग्री को निगलने के दौरान उत्सर्जित हुई एक्स रे विकरण कर रहा है. इसकी उपस्थिति को प्रमाणित करने के लिए शोधकर्ताओं ने पुराने एक्स रे आंकड़ों का उपयोग किया जो उन्होंने बंद हो चुके सैटेलाइट रॉसी एक्स रे टाइमिंग एक्सप्लोरर से मिले थे.

एक्स रे विकरणों से मिली मदद
शोधकर्ताओं ने एक्स रे विकिरण से ठोस सतह की गैरमौजूदगी का प्रभाव का पता लगाया और बहुत तेजी से बढ़ते स्टेलर मास ब्लैक होल के बहुत ही पुष्ट संकेत पाए. भारत क टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के शोधकर्ता सुदीप भट्टाचार्य का कहना है कि इस अध्ययन से सैटेलाइट से कॉस्मिक एक्स रे से ब्लैक होल के बारे में अब तक के सबसे पुष्ट और स्थायी संकेत मिले हैं.

इन ब्लैकहोल की तुलना न्यूट्रॉन तारों से की जाती है जो कि एक विशाल तारे के खत्म होने के बाद सिमटा हुआ केंद्र होता है. इनका भार 10 से 25 सूर्यों के बराबर होता है. लेकिन फिर भी ये सबसे छोटे और घने पिंडों में से एक होते हैं. दूर से इनमें और इनके आकार के ब्लैकहोल में अब तक अंतर करना मुश्किल काम था.

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