अमेरिका का सबसे घातक परमाणु 'बॉम्‍बर B-2 स्प्रिट' भारत-चीन सीमा पर तैनात की तैयारी में...

Update: 2020-08-19 10:55 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। भारत और चीन दोनों ही देश अब इस इलाके में सर्दियों में भी तैनाती के लिए तैयारी कर रहे हैं। चीन भारत के साथ कई दौर की बातचीत के बाद भी पैंगोंग झील और देपसांग इलाके से हटने का नाम नहीं ले रहा है। ड्रैगन की इस दादागिरी के खिलाफ अब अमेरिका भारत के साथ आता दिख रहा है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ड्रैगन को कड़ा संदेश देने के लिए अमेरिका भारत-चीन सीमा पर अपने सबसे घातक परमाणु बॉम्‍बर B-2 स्प्रिट को उड़ा सकता है। यह अमे‍रिकी बॉम्‍बर एक साथ 16 परमाणु बम ले जा सकता है। आइए जानते हैं क्‍या है पूरा मामला....

भारत के बेहद करीब तैनात हैं अमेरिकी परमाणु बॉम्‍बर

अमेरिकी पत्रिका द नैशनल इंटरेस्‍ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आने वाले दिनों में ये अमेरिकी परमाणु बॉम्‍बर भारत के साथ जल्‍द ही फ्लाई ओवर मिशन, युद्ध की तैयारियों और एक-दूसरे के सुव‍िधाओं के इस्‍तेमाल का बड़े पैमाने पर अभ्‍यास कर सकता है। अमेरिकी पत्र‍िका ने कहा क‍ि इसमें खास बात यह है कि इस अभ्‍यास को भारत-चीन सीमा पर अंजाम दिया जा सकता है। इस दौरान अमेरिकी बॉम्‍बर को चीन के एयर डिफेंस सिस्‍टम को परखने का मौका मिल सकता है। तीन बी-2 बमवर्षक विमान इस समय अमेरिकी नेवल बेस डियागो गार्सिया में तैनात हैं जो भारत से मात्र 1 हजार मील की दूरी पर स्थित है। बता दें कि अमेरिका अफगानिस्‍तान युद्ध के दौरान इसी डियोगो गार्सिया नेवल बेस से अपने बमवर्षक विमानों को हमले करने के लिए भेजता था।

दोस्‍तों के लिए कभी भी, कहीं भी हमला करने में सक्षम: अमेरिका

ये विमान करीब 29 घंटे की यात्रा करके डियागो गार्सिया पहुंचे हैं। अमेरिकी वायुसेना के कमांडर कर्नल क्रिस्‍टोफर कोनंत ने कहा कि 29 घंटे की यात्रा यह दर्शाती है कि अमेरिका अपने दोस्‍तों और सहयोगियों की मदद के लिए बेहद घातक और लंबी दूरी तक किसी भी समय और कहीं भी हमला करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। कमांडर कोनंत ने कहा कि यह बॉम्‍बर टॉस्‍कफोर्स हमारी नैशनल डिफेंस स्‍ट्रेटजी का हिस्‍सा है। हम (हिंद महासागर में) अपने दोस्‍तों और सहयोगियों के साथ रिश्‍तों को मजबूत करने के साथ-साथ अपने हमला करने की धार को और ज्‍यादा तेज कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि कोरोना वायरस संकट के बाद भी एयरफोर्स इंडो-पैसफिक इलाके में सहयोग करने और रक्षा मंत्रालय के देश के रणनीतिक लक्ष्‍यों का हासिल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। बता दें कि अमेरिका का स्‍ट्रेटजिक कमान अक्‍सर B-2 स्प्रिट स्‍टील्‍थ बॉम्‍बर को खतरे और जरूरत के हिसाब से दुनिया के अलग-अलग हिस्‍सों में तैनात करता रहा है।

चीन के S-400 से होगी अमेरिकी बॉम्‍बर की टक्‍कर

पत्रिका की रिपोर्ट में कहा गया है कि बी-2 की सीधी टक्‍कर चीन के एयर डिफेंस सिस्‍टम से होगी। माना जा रहा है कि चीन ने तनाव को देखते हुए भारत-चीन सीमा पर रूस निर्मित S-400 और S-300 को तैनात कर रखा है। चीन का दावा है कि ये डिफेंस सिस्‍टम स्‍टील्‍थ लड़ाकू विमानों को भी पकड़ने में सक्षम हैं। उधर, अमेरिका ऐसे किसी भी खतरे से निपटने के लिए 30 साल पुराने इन बमवर्षक विमानों में लगातार नए सेंसर, कंप्‍यूटर, हथियार और इलेक्‍ट्रॉनिक उपकरण लगाता रहा है। B-2 के कंप्‍यूटर को बदलकर अब 1000 गुना ज्‍यादा तेजी से काम करने वाले लगाए गए हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक यह परमाणु बॉम्‍बर रेडार की पकड़ में नहीं आता है और चुपके से हमले को अंजाम देने में सक्षम है।

बी-2 एक साथ ले जा सकता है 16 परमाणु बम

B-2 स्प्रिट दुनिया के सबसे घातक बॉम्‍बर माने जाते हैं। यह बमवर्षक विमान एक साथ 16 B61-7 परमाणु बम ले जा सकता है। हाल ही में इसके बेड़े में बेहद घातक और सटीक मार करने वाले B61-12 परमाणु बम शामिल किए गए हैं। यही नहीं यह दुश्‍मन के हवाई डिफेंस को चकमा देकर आसानी से उसके इलाके में घुस जाता है। इस बॉम्‍बर पर एक हजार किलो के परंपरागत बम भी तैनात किए जा सकते हैं। यह दुश्‍मन की जमीन पर हमला करने के लिए सबसे कारगर बॉम्‍बर माना जाता है। वर्ष 1997 में एक B-2 स्प्रिट बॉम्‍बर की कीमत करीब 2.1 अरब डॉलर थी। अमेरिका के पास कुल 20 B-2 स्प्रिट स्‍टील्‍थ बॉम्‍बर हैं। यह बॉम्‍बर 50 हजार फुट की ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए 11 हजार किलोमीटर तक मार कर सकने में सक्षम है। एक बार रिफ्यूल कर देने पर यह 19 हजार किलोमीटर तक हमला कर सकता है। इस विमान ने कोसोवा, इराक, अफगानिस्‍तान और लीबिया में अपनी क्षमता साबित की है।

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