गांधीनगर: गुजरात के गांधीनगर के पेठापुर में स्थित स्वामी नारायण गौशाला के बाहर मिले बच्चे के मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. गौशाला के गेट के बाहर दस महीने के बच्चे को किसी और ने नहीं बल्कि उसके पिता ने छोड़ा था. दस महीने के बच्चे से जुड़ी पहले की कहानी इससे भी कहीं ज़्यादा दिल को कचोट देनेवाली है.
आठ अक्टूबर की रात ठीक नौ बजकर बीस मिनट पर एक शख्स गोद में बच्चे को लिए गौशाला के गेट के क़रीब पहुंचा. रात का वक़्त था, आस-पास कोई भी नहीं था. लिहाज़ा वो बड़ी खामोशी से बच्चे को गौशाला के गेट के अंदर सड़क पर रखकर वहां से भाग गया. थोड़ी देर बाद गौशाला के कुछ कर्मचारियों को किसी बच्चे के रोने की आवाज सुनी. कर्मचारी ने बाहर आकर एक बच्चे को रोते देखा. वह बच्चे को उठाकर गौशाला ले आया. इसके बाद आस-पास में तलाश करने लगा कि शायद बच्चे के मां-बाप मिल जाएं. मगर कोई नहीं मिला. इसके बाद पुलिस को खबर दी गई. खबर इलाके की पार्षद दीप्ति पटेल तक भी पहुंची. पुलिस ने दीप्ति पटेल को कुछ वक़्त के लिए बच्चे को संभालने के लिए कहा. पूरी रात पार्षद ने बच्चे का ख्याल रखा.
सुबह होते-होते सोशल मीडिया पर बच्चे का वीडियो और तस्वीर गुजरात में वायरल हो चुका था. इस मासूम से बच्चे का चेहरा देख कर हरेक का कलेजा फट रहा था. सोशल मीडिया पर सैकड़ों लोग आगे आकर इस बच्चे को गोद लेने की मांग करने लगे. सोशल मीडिया से होते-होते बात गुजरात के गृहमंत्री हर्ष सांघवी तक पहुंच गई. तब तक बच्चे को मेडिकल चेकअप के लिए अस्पताल ले जाया गया. हर्ष सांघवी बच्चे को देखने अस्पताल पहुंचे. इसके बाद उन्होंने ऐलान किया कि बच्चे के मां-बाप को ढूंढ़ने के लिए पुलिस अपनी पूरी ताकत झोंक देगी.
क़रीब डेढ़ सौ सीसीटीवी खंगालने पर मिला सुराग
गृह मंत्री के हुक्म पर गांधीनगर पुलिस के करीब 85 पुलिसवालों की 14 अलग-अलग टीम बनाई गई. पुलिस ने सबसे पहले गौशाला के आस-पास की सीसीटीवी फुटेज को खंगाला. इस मुहिम में क़रीब डेढ़ सौ सीसीटीवी कैमरों को खंगाला गया और आख़िरकार पुलिस को पहली कामयाबी मिली. ये कामयाबी एक सेंट्रो कार की शक्ल में मिली थी. एक कैमरे में ये दिखाई देता है कि एक शख़्स एक बच्चे के साथ सेंट्रो कार में इसी गौशाला की तरफ़ जा रहा है. सीसीटीवी की तस्वीरों से उस कार का नंबर पता चल गया. कार नंबर सामने आते ही पुलिस कार के रजिस्ट्रेशन नंबर से उसके मालिक का पता लगाया. और तब पहली बार सचिन दीक्षित का नाम सामने आया. सेंट्रो कार तीस साल के सचिन दीक्षित के नाम पर ही दर्ज थी और पता गांधीनगर था.
ऐसे पकड़ में आया सचिन
पुलिस की एक टीम सचिन दीक्षित के गांधीनगर के उस पते पर पहुंची तो घर पर ताला लगा हुआ था. अब तक पुलिस के पास सचिन का मोबाइल नंबर भी आ चुका था. नंबर को सर्विलांस पर लगाया गया, तो पता चला कि उसका लोकेशन राजस्थान में कोटा दिखा रहा है. पुलिस की टीम ने सचिन को फ़ोन किया उसे बच्चे के बारे में बताया. सचिन ने मान लिया कि वो उसी का बच्चा है. फिर उसने बताया कि उसका नाम शिवांश है.
रविवार सुबह राजस्थान पुलिस की मदद से सचिन को पुलिस ने कोटा में ही रोक कर हिरासत में ले लिया. तब वो अपनी पत्नी चार साल के बेटे और मां-बाप के साथ था और उसी सेंट्रो कार में दशहरा मनाने उत्तर प्रदेश जा रहा था. रविवार को ही गुजरात पहुंचने के बाद पुलिस ने शिवांश को इस तरह गौशाला के बाहर छोड़ कर भागने की सचिन से वजह पूछी. सचिन चुप रहा. इसके बाद पुलिस ने सचिन की पत्नी अनुराधा से पूछा कि उन्होंने अपने बेटे को यूं क्यों छोड़ा? अनुराधा हैरान थी. उसने कहा उसका एक ही बेटा है, वो भी चार साल का और वो इस वक़्त उसके साथ है. उसने शिवांश को पहचानने से साफ़ मना कर दिया. सचिन कह रहा था कि शिवांश उसका बेटा है. उसी ने उसे छोड़ा है और सचिन की पत्नी अनुराधा कह रही है कि वो उसका बेटा ही नहीं है.
पुलिस ने एक बार फिर सचिन से पूछताछ करने का फ़ैसला किया. पूछताछ शुरू होती है और पूछताछ ख़त्म होते-होते गांधीनगर पुलिस वडोदरा पुलिस को एक फ़ोन किया और एक घर का पता बताया. पुलिस को उस घर के किचन में जाने को कहती है और किचन में रखे एक बैग को खोल कर उसकी तलाशी लेने को कहा.
वडोदरा पुलिस की एक टीम दर्शन ओवरसीज़ सोसायटी पहुंची यहां घर पर कोई नहीं था. ताला तोड़ कर पुलिस अंदर दाखिल हुई. किचन में रखे बैग को खोलते ही पुलिसवालों के होश उड़ गए. बैग के अंदर एक महिला की लाश थी. लाश से तेज़ बदबू आ रही थी. ये ख़बर वडोदरा पुलिस ने वापस गांधीनगर पुलिस को दी. सचिन से फिर से पूछताछ हुई और चौंकाने वाला सच सामने आया.
उत्तर प्रदेश का रहनेवाला है सचिन दीक्षित
उत्तर प्रदेश का रहनेवाला सचिन दीक्षित गांधीनगर की एक कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर था. क़रीब चार साल पहले घरवालों की मर्ज़ी से अनुराधा के साथ उसकी शादी हुई थी. दोनों का तीन साल का एक बेटा भी है. 2018 में एक शो रूम में सचिन की मुलाक़ात मेहंदी उर्फ़ हिना नाम की एक लड़की से हुई. हिना इसी शो रूम में काम करती थी. दोनों में दोस्ती हुई और फिर प्यार.कुछ दिन बाद सचिन का ट्रांसफर वडोदरा हो गया. वडोदरा में ही दर्शनम ओवरसीज़ सोसायटी में एक फ्लैट उसने किराये पर लिया. मेहंदी भी वडोदरा आ गई. दोनों फ्लैट में एक साथ लिव-इन में रहने लगे.
लिव इन में रहते थे सचिन और मेहंदी
सचिन हफ्ते में पांच दिन वडोदरा में मेहंदी के साथ रहता और वीकेंड पर अहमदाबाद अपने परिवार के पास आ जाता था. दिसंबर 2020 में मेहंदी ने एक बेटे को जन्म दिया जिसका नाम शिवांश रखा. हालांकि दोनों ने अभी शादी नहीं की थी. शादी को लेकर मेहंदी अक्सर सचिन पर दबाव बनाया करती थी. सचिन टालता रहता था.
आठ अक्टूबर यानी शुक्रवार की दोपहर को सचिन और मेहंदी के बीच झगड़ा हुआ. दरअसल, सचिन मेहंदी को बताता है कि वो दशहरे पर एक हफ्ते के लिए पूरे परिवार के साथ उत्तर प्रदेश अपने घर जा रहा है. मेहंदी इस बात पर गुस्सा हो गई और उसने जाने से रोका. झगड़े के दौरान मेहंदी उसे अनुराधा को छोड़कर एक बार फिर उससे शादी करने की ज़िद करने लगी. इसी झगड़े के दौरान सचिन को गुस्सा आया और उसने मेहंदी का गला घोंट दिया.
सूटकेस में रखी थी मेहंदी की लाश
मेहंदी की मौत के बाद वो घर में ही रखे एक बड़े से सूटकेस में उसकी लाश ठूंस कर शाम से पहले ही वो बेटे शिवांश को लेकर वडोदरा से गांधीनगर के लिए निकल पड़ा. गांधीनगर में स्वामी नारायण गौशाला के बारे में सचिन को पहले से पता था. दूध और बाक़ी चीज़ों को लिए वह अक्सर यहां आता था. इसीलिए आठ अक्टूबर की रात इसी गौशाला के अंदर ये सोच कर शिवांश को छोड़कर गया कि कोई उसे पाल लेगा.
पुलिस के मुताबिक मेहंदी उर्फ़ हिना भोपाल की रहनेवाली थी. उसके मां-बाप का तलाक हो चुका है. दोनों अलग रहते हैं. मेहंदी की मौसी ने पुलिस को बताया है कि दस महीने पहले मेहंदी ने एक बेटे को जन्म दिया था. उधर, पुलिस का कहना है कि सचिन की पत्नी अनुराधा या उसके घरवालों को मेहंदी या उसके बेटे के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.