जब हाईकोर्ट ने कहा- हाईवे पर मिले बुनियादी सुविधा, जानें पूरा मामला

Update: 2022-06-04 06:30 GMT

साफ सुथरा शौचालय की उपलब्धता भी बुनियादी अधिकारों का ही हिस्सा है. पटना हाईकोर्ट ने ये आदेश राजमार्गों पर यात्रा करने वालों के संदर्भ में दिया है. कोर्ट ने बिहार सरकार और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को आदेश दिया है कि इस दिशा में अविलंब कदम उठाते हुए उचित अंतराल पर पेट्रोल पंप, ढाबों और रेस्तराओं के परिसर में साफ सुथरे स्वच्छ जल युक्त शौचालयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए समुचित उपाय करे.

पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की पीठ ने अपने 38 पेज के फैसले में जीवन का अधिकार, गतिमापूर्ण ढंग से जीवन यापन का अधिकार की व्याख्या करते हुए कहा कि नागरिक चाहे किसी भी माध्यम से यात्रा पर हो उसे राज्य या राष्ट्रीय राजमार्ग पर यात्रा के दौरान बुनियादी सुविधाएं जैसे स्वच्छ पेयजल, शौचालय और इलाज की सुविधा प्राप्त करने का अधिकार है.
जस्टिस करोल ने फैसले में लिखा है कि दुनिया भर में ये मान्य सत्य है कि जीवन की मूलभूत जरूरतों को मौलिक अधिकार बनाते हुए स्वच्छ हवा, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छ सुरक्षित पर्यावरण और गरिमा के साथ जीवन जीने के अधिकार में स्वच्छता का अधिकार भी समाहित है.
कोर्ट ने लिखा कि हाइवे के किनारे मर्द औरत बेशर्म होकर 'निपटते' रहते हैं ये दुर्भाग्यपूर्ण है. समाज इसे स्वीकार नहीं करता. सरकार की जिम्मेदारी है उन्हें स्वच्छ शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराना. कोर्ट ने मानवाधिकार घोषणापत्रों के हवाले से कहा कि ये स्वच्छ शौचालय जैसी सुविधा सिर्फ हाइवे पर सफर करने वालों का ही नहीं बल्कि हरेक नागरिक का अधिकार है. सरकार पर इस अधिकार की भी सुरक्षा संरक्षा की जिम्मेदारी है.
पीठ ने कहा कि पटना और आसपास मनेर शरीफ, नालंदा विश्वविद्यालय, भितिहरवा, मधुबनी जैसे ऐतिहासिक और पर्यटन महत्व के स्थलों तक कोई भी सैलानी अध्येता या फिर कैमूर जैसे दूरदराज इलाके से पटना तक इलाज के लिए कोई मरीज बिना बुनियादी सुविधाओं के कैसे सफर कर सकेगा? सरकार फौरन इस ओर गंभीरता से ध्यान देते हुए समुचित कदम उठाए. 
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