जब डीजीपी पर भड़का हाईकोर्ट, कहा- कर्मों का फल यहीं भुगतना है..जानें पूरा मामला

कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश की प्रति जिला जज को भी भेजी जाये, जिसे वहां के सभी न्यायिक अधिकारियों को सर्कुलेट किया जाय.

Update: 2021-09-17 02:38 GMT

प्रयागराज. मैनपुरी के जवाहर नवोदय विद्यालय की कक्षा 11 में पढ़ने वाली छात्रा की हॉस्टल में फांसी लगाने से मौत मामले में गुरुवार को डीजीपी मुकुल गोयल इलाहाबाद हाईकोर्ट में पेश हुए. उन्होंने अदालत को बताया कि एसआईटी की नई जांच टीम गठित कर दी गई है और इसमें अनुभवी अधिकारियों को शामिल किया गया है. हाईकोर्ट ने एसआईटी को 6 हफ्ते में अपनी जांच पूरी करने का निर्देश दिया है. डीजीपी ने कोर्ट को बताया कि जांच में लापरवाही पर तत्कालीन एएसपी, डिप्टी एसपी व इंस्पेक्टर विवेचक को सस्पेंड कर दिया गया है. हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि इस मामले में जांच से हाईकोर्ट बार एसोसिएशन व कोर्ट को भी अवगत कराया जाये. हाईकोर्ट ने लड़की के माता-पिता को सुरक्षा मुहैया कराने का भी निर्देश दिया है. कोर्ट को सरकार की ओर से बताया गया कि एडीजी कानून व्यवस्था की निगरानी में जांच पूरी की जाएगी. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश की प्रति जिला जज मैनपुरी को भी भेजी जाये, जिसे वहां के सभी न्यायिक अधिकारियों को सर्कुलेट किया जाय.

हाईकोर्ट ने डीजीपी को निर्देश दिया है कि बलात्कार के मामले में दो माह में जांच पूरी करने को लेकर सर्कुलर जारी किया जाये और विवेचना पुलिस का प्रशिक्षण कराया जाये. डीजीपी ने कोर्ट को बताया कि मैनपुरी के तत्कालीन रिटायर एसपी को सेवानिवृत्ति लाभ का भुगतान रोक दिया गया है. उन्हें केवल प्राविजनल पेंशन का भुगतान किया जा रहा है.
हाईकोर्ट ने डीजीपी समेत कोर्ट में पेश सभी पुलिस अधिकारियों की हाजिरी माफ कर दी है. लेकिन कोर्ट ने अधिकारियों के कोर्ट रूम से बाहर निकलने से पूर्व मार्मिक टिप्पणी भी की और कहा कि स्वर्ग कहीं और नहीं है. सबको अपने कर्मों का फल यहीं भुगतान पड़ता है. कोर्ट ने डीजीपी से यह भी कहा कि पुलिस को जांच के लिए ट्रेनिंग की जरूरत है. अधिकांश जांच कॉन्सटेबिल करता है. दरोगा कभी-कभी जाता है.
बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मैनपुरी में दो साल पहले जवाहर नवोदय विद्यालय में एक नाबालिग छात्रा की फांसी लगाकर आत्महत्या के मामले में सवालों का जवाब न दे पाने पर नाराजगी जताते हुए डीजीपी मुकुल गोयल को रोक लिया था. एक्टिंग चीफ जस्टिस एमएन भंडारी और जस्टिस एके ओझा के खंडपीठ ने डीजीपी के अलावा आईजी मोहित अग्रवाल व इस मामले में गठित एसआईटी के सदस्य पुलिस अधिकारियों को भी गुरुवार को फिर हाजिर होने का निर्देश दिया था.
कोर्ट ने कहा था कि मामले में न्यायालय द्वारा दिखाई गई गंभीरता और जांच के तरीके के साथ दोषी पुलिस अधिकारी के खिलाफ निर्देश के बावजूद कोई अनुवर्ती कार्रवाई नहीं की गई है. बल्कि मामले की जानकारी डीजीपी को नहीं दी जा रही है. मामले की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी और एसआईटी के सदस्य जांच करने में पुलिस अधिकारियों की कार्रवाई के बारे में स्पष्ट करने के लिए अदालत में उपस्थित रहेंगे और आगे यह भी बताएंगे कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मैनपुरी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई उनकी सेवानिवृत्ति से लगभग छह महीने पहले पहले क्यों नहीं पूरी की जा सकी.
डीजीपी मुकुल गोयल से कोर्ट ने इस मामले से जुड़े कई सवाल किए थे. अभियुक्तों का बयान लेकर छोड़ देने और उनकी गिरफ्तारी नहीं करने को कोर्ट ने गंभीरता से लिया था. सुनवाई की शुरुआत में छात्रा की फांसी के बाद हुए शव के पंचनामे की वीडियो रिकार्डिंग देखने के बाद कोर्ट ने डीजीपी से पूछा था कि किसी के भी खिलाफ गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज होने पर पहला काम क्या करते हैं? डीजीपी ने जवाब दिया कि गिरफ्तारी. कोर्ट ने कहा था कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में नाबालिग के कपड़ों पर सीमेन पाया गया है. उसके सिर पर चोट के निशान थे. इसके बाद भी तीन महीने में अभियुक्तों का केवल बयान ही लिया गया, ऐसा क्यों? इस पर डीजीपी मुकुल गोयल ने कहा कि फिर से एसआईटी गठित कर देते हैं.
गौरतलब है कि 16 सितंबर 2019 को 16 वर्षीय एक छात्रा अपने जवाहर नवोदय स्कूल में फांसी पर लटकती मिली थी. पुलिस ने शुरू में दावा किया था कि आत्महत्या का मामला है. दूसरी ओर उसकी मां ने आरोप लगाया था कि उसे परेशान किया गया, पीटा गया और जब वह मर गई तो उसे फांसी के फंदे पर लटका दिया गया. घटना को लेकर छात्रों ने प्रोटेस्ट किया था. परिवार ने भी कई दिनों तक धरना दिया था. मृतका के पिता ने मुख्यमंत्री से जांच की गुहार लगाई तो एसआईटी ने जांच की गई. 24 अगस्त 2021 को एसआईटी ने केस डायरी हाईकोर्ट में पेश की थी. कोर्ट ने कहा कि छात्रा के पिता का बयान दर्ज नहीं किया जाना संदेह पैदा करता है.
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