जब रिटायर होने के बाद अधिकारियों पर हुई कार्रवाई, सरकार के एक्शन से मचा हड़कंप
जानें पूरा मामला.
देवरिया: यूपी के देवरिया में हुए कत्लेआम को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कड़ी कार्रवाई की है. सीएम के आदेश के बाद मामले में लापरवाही बरतने वाले राजस्व कर्मियों और पुलिसकर्मियों सहित 15 अधिकारियों पर गाज गिरी है. गौर करने वाली बात यह है कि इसमें वो अधिकारी भी शामिल हैं जो रिटायर हो चुके हैं. बीते दिन कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक के दौरान सीएम योगी ने सख्त लहजे में चेतावनी दी कि जमीनी विवाद पर किसी तरह की घटना हुई तो संबंधित जिले और तहसील के अफसर नपेंगे.
बता दें कि देवरिया में रुद्रपुर थाना क्षेत्र के फतेहपुर गांव में 2 अक्टूबर को जमीनी विवाद में पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद्र यादव की हत्या हुई थी. इस हत्या का बदला लेने के लिए प्रेमचंद्र पक्ष के दर्जन भर से ज्यादा लोगों ने सत्य प्रकाश दुबे के घर हमला कर दिया. और दुबे सहित परिवार के कुल 5 लोगों को मौत के घाट उतार दिया. एक गांव में 6 हत्याओं से पूरा प्रदेश दहल उठा.
इस जघन्य हत्याकांड के बाद सत्य प्रकाश दुबे की बेटी शोभिता ने बताया कि जमीनी विवाद 2014 से चला आ रहा है. शोभिता के मुताबिक, प्रेमचंद्र यादव ने उनके चाचा को अगवा कर करीब 10 बीघा जमीन अपने नाम लिखा ली थी. जिसको लेकर सत्य प्रकाश दुबे ने कोर्ट में केस रखा था. तभी से दुबे परिवार और यादव परिवार के बीच तकरार चली आ रही थी.
बकौल शोभिता- उसने और उनके परिवार के लोगों के जमीनी विवाद को लेकर पुलिस, थाना, तहसील और लेखपाल के चक्कर काटे लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई. यहां तक कि हजार से ज्यादा बार मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत की मगर कुछ नतीजा नहीं निकला. दारोगा, तहसीलदार ने कभी उनकी नहीं सुनी. सालों तक मामला टालते रहे और प्रेमचंद्र का पक्ष लेते रहे. जिसके चलते 2 अक्टूबर को इतनी बड़ी घटना हो गई. अगर पुलिस-प्रशासन पहले ही उनकी सुन लेता तो आज 5 लोग न मारे जाते.
बताया जा रहा है कि शासन की रिपोर्ट में देवरिया हत्याकांड में पुलिस और राजस्व के अधिकारियों/कर्मचारियों की घोर लापरवाही एवं कर्तव्यपालन में शिथिलता संज्ञान में आई थी. जिसके बाद उनके खिलाफ यह सख्त कदम उठाया गया. विवाद को लेकर सत्य प्रकाश दुबे ने ग्राम समाज की भूमि पर अवैध कब्जा के संबंध में IGRS के जरिए कई शिकायतें की थीं. पुलिस और राजस्व विभाग में भी शिकायतें भेजी थीं. ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों. लेकिन दोनों विभाग के संबंधित अधिकारियों ने इसे न ही गंभीरता से लिया और न ही निस्तारण कराया.
देवरिया कांड को लेकर कई अधिकारियों/कर्मचारियों पर एक्शन हुआ है. इनमें रिटायर हो चुके लोग भी शामिल हैं. दरअसल, देवरिया का जमीनी विवाद करीब 10 साल पुराना है. ऐसे में उस समय जिन-जिन लोगों ने लापरवाही बरती सब पर कार्रवाई की गई. फिर चाहे वो रिटायर हो गया हो या फिर ट्रांसफर लेकर कहीं और चला गया हो.