अनिल देशमुख का क्या होगा? सचिन वाजे बनेगा सरकारी गवाह, लेकिन...

Update: 2022-06-03 03:03 GMT

मुंबई: मुंबई के पूर्व पुलिस अधिकारी सचिन वाजे के खिलाफ दर्ज चार में से एक मामले में माफी दे दी गई है जबकि एक अन्य मामले में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है. बता दें कि इसी सप्ताह वाजे को अनिल देशमुख केस में सरकारी गवाह बनने के बाद मुंबई की विशेष कोर्ट ने माफी दे दी थी. मुंबई पुलिस के पूर्व अफसर की मुश्किलें अभी भी कम होती नहीं दिख रही है.

1990 में महाराष्ट्र पुलिस में शामिल हुए सचिन वाजे को इससे पहले 2002 के घाटकोपर बम विस्फोट के एक आरोपी ख्वाजा यूनुस की हिरासत में मौत के बाद उन्हें पहली बार सेवाओं से निलंबित किया गया था. तब से चल रहे इस मामले में वह अभी भी मुकदमे का सामना कर रहे हैं. इस मामले में उन्हें निलंबित रहने के दौरान अदालत ने जमानत दे दी थी.
पहले गवाह की गवाही के बाद मामले में स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने एक आवेदन दिया जिसमें वाजे और उसके कांस्टेबलों के अलावा पुलिस अधिकारियों के एक और समूह को आरोपी बनाने की मांग की गई थी. स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की चिट्ठी के बाद उनकी सेवाओं को महाराष्ट्र सरकार ने समाप्त कर दिया था और तब से मुकदमा चलाने के लिए एक नए स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की नियुक्ति की प्रतीक्षा में मुकदमा ठप है. वाजे अभी भी इस मामले में एक आरोपी हैं और चूंकि वह इस मामले में मुख्य अभियुक्तों में से एक हैं, इसलिए वह इस मामले में गवाह नहीं बन सकते और क्षमा नहीं मांग सकते.
16 साल के निलंबन के बाद जून 2020 में कोरोनाकाल के दौरान वाजे को मुंबई पुलिस में बहाल कर दिया गया था. बाद में उन्हें 2021 एंटीलिया केस और व्यवसायी मनसुख हिरेन की मौत के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने गिरफ्तार किया था. गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत वाजे और कुछ अन्य के खिलाफ आरोप अलग हैं. इस केस में भी वाजे मुख्य आरोपी है और इसलिए वे सरकारी गवाह नहीं बन सकते या उसे क्षमा नहीं दी जा सकती. जमानत अर्जी भी एनआईए की विशेष अदालत ने खारिज कर दी थी.
मार्च 2021 में एंटीलिया बम कांड और मनसुख हिरन की मौत के मामले में सचिन वाजे की गिरफ्तारी के बाद सस्पेंड कर दिया गया और फिर पुलिस से बर्खास्त कर दिया गया. इस बीच मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह ने महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख पर आरोप लगाए. आरोप यह था कि देशमुख ने वाजे को हर महीने मुंबई और उसके आसपास के विभिन्न रेस्तरां और बार से 100 करोड़ रुपये वसूलने के लिए कहा था.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने सीबीआई को देशमुख के खिलाफ आरोपों की जांच करने का आदेश दिया, लेकिन एजेंसी ने आरोपों में सत्यता पाया और प्राथमिकी दर्ज की. सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी शिकायत दर्ज की और मामले की जांच की. जांचकर्ताओं के अनुसार, वाजे ने देशमुख के आदेश के आधार पर बार और रेस्तरां से पैसे वसूले और फिर अपने सहयोगियों के माध्यम से पूरे पैसे देशमुख को सौंप दिए थे.
ईडी और सीबीआई दोनों ने कहा कि वाजे ने देशमुख के आदेश के बाद की वसूली की थी. इस प्रकार सीबीआई ने उन्हें क्षमादान देते हुए सरकारी गवाह बनने का प्रस्ताव दिया था जिसे वाजे ने स्वीकार कर लिया था. वाजे ने इससे पहले ईडी मामले में जांच अधिकारी को पत्र लिखकर मंजूरी देने की मांग की थी. यह संभावना है कि वाजे मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत स्पेशल कोर्ट के सामने जल्द ही सरकारी गवाह बनने के लिए आवेदन दायर करेगा. हालांकि यह भी संभावना है कि ईडी मामले के अन्य आरोपी उस अर्जी का पुरजोर विरोध करेंगे. ईडी और सीबीआई के इन दोनों मामलों में वाजे को अदालतों ने जमानत नहीं दी है.
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