क्या है पैंगोंग झील पर ब्रिज बनाने के पीछे चीन की चाल, जानें पूरा मामला

नए साल के मौके पर चीन ने भले ही भारतीय सेना के साथ शुभकामनाएं और मिठाईयां का आदान-प्रदान किया. लेकिन ड्रैगन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है.

Update: 2022-01-04 04:21 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।  नए साल के मौके पर चीन ने भले ही भारतीय सेना के साथ शुभकामनाएं और मिठाईयां का आदान-प्रदान किया. लेकिन ड्रैगन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. ताजा खबर पूर्वी लद्दाख से है जहां पैंगोंग-त्सो लेक पर चीन की PLA सेना एक पुल का निर्माण करने में जुटी है. ओपन सोर्स सैटेलाइट इमेज से इस ब्रिज के निर्माण का खुलासा हुआ है.

ओपन सोर्स इंटेलीजेंस, 'इंटेल लैब' के मुताबिक, चीन पैंगोंग त्सो लेक पर एक पुल तैयार कर रहा है ताकि उसके सैनिक झील के उत्तर और दक्षिण इलाकों में आसानी से आवागमन कर सकें. इंटेल लैब ने पुल की सैटेलाइट तस्वीर भी जारी की है.
क्या है पूरा मामला
2019 में पैंगोंग त्सो झील के उत्तर और दक्षिण दोनों में भारत और चीन की सेनाओं में विवाद हुआ था. झील के उत्तर में विवादित फिंगर एरिया है तो दक्षिण में कैलाश हिल रेंज और रेचीन ला दर्रा है. हालांकि बाद में दोनों ही जगह पर डिसइंगेजमेंट हो गया था लेकिन पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं में तनाव जारी है और दोनों ही सेनाओं के 60-60 हजार सैनिक यहां तैनात हैं. इसके अलावा टैंक, तोप और मिसाइलों का जखीरा भी है.
करीब 140 किलोमीटर लंबी पैंगोंग त्सो झील का दो तिहाई हिस्सा यानि करीब 100 किलोमीटर चीन का हिस्सा है. ऐसे में चीन के सैनिकों को एक छोर से दूसरे छोर जाने के लिए या तो बोट का सहारा लेना पड़ता है या फिर पूरा 100 किलोमीटर घूम कर आना पड़ता है. लेकिन नए पुल के बनने से एक छोर से दूसरे छोर पर पहुंचना बेहद आसान हो जाएगा. ये पुल चीन अपने ही सीमा-क्षेत्र में तैयार कर रहा है.
भारतीय सेना की इस पुल को लेकर अभी तक कोई टिप्पणी सामने नहीं आई है. हालांकि, भारत भी एलएसी के अपने इलाकों में पुल और सड़कों का जाल बिछाने में जुटा है. पिछले हफ्ते ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एलएसी पर दो दर्जन पुलों का ई-उद्घाटन किया था. पिछले हफ्ते ही भारत के रक्षा मंत्रालय ने अपनी सालाना रिपोर्ट में खुलासा किया था कि पूर्वी लद्दाख में LAC के जिन इलाकों में डिसइंगेजमेंट नहीं हुआ है वहां भारतीय सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है. साथ ही LAC के दूसरी तरफ चीन के जबरदस्त इंफ्रास्ट्रक्चर और PLA की बढ़ी हुई संख्या को देखते हुए भारतीय सेना ने पुनर्गठन के साथ-साथ अपने सैन्य ढांचे में जरूरी बदलाव भी किए हैं.
क्या कहती है रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट
रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, "LAC पर एक से अधिक क्षेत्रों में चीन द्वारा बल के प्रयोग पर स्टेट्स-क्यो यानि यथास्थिति को बदलने के लिए एकतरफा और उत्तेजक कार्रवाइयों का पर्याप्त रूप से जवाब दिया गया है." रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों की सेनाएं विभिन्न स्तरों पर बातचीत में लगी हुई हैं. निरंतर संयुक्त प्रयासों के बाद, कई स्थानों पर डिसइंगेजमेंट नहीं हुआ है. ऐसे में उन क्षेत्रों में जहां डिसइंगेजमेंट नहीं हुआ है वहां पर्याप्त रूप से सैनिकों की संख्या बढ़ाया गई है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, LAC पर अपने दावों को मजबूत करने के लिए भारतीय सैनिक पूरी दृढ़ता लेकिन शांति-पूर्वक सीमा पर चीन के खिलाफ डटे हुए हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि एलएसी पर भारत भी सड़क, ब्रिज और दूसरी मूलभूत सुविधाओं के साथ अपना इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में जुटा है.
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