कबाड़ से नायाब कलाकारी, फेंके गए अनुपयोगी सामानों से बेजोड़ म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बनाता है ये शख्स

Update: 2021-10-09 05:33 GMT

हुगली: "बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट" थ्योरी को हकीकत में साकार कर संगीत जगत को अपनी नायाब कलाकारी से हुगली के सोमनाथ बंदोपाध्याय रोशन कर रहे हैं. वे फेंके गए अनुपयोगी सामानों से बेजोड़ म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बनाते हैं. खुद के द्वारा बनाए गए इंस्ट्रूमेंट को बजाकर बंगला टेलीविजन रियलिटी शो "सारेगामापा" के मंच पर भी उन्होंने समां बांध द‍िया. 

संगीत उनकी रग-रग में है क्योंकि उनके स्वर्गीय पिता नीरद बरन बंधोपाध्याय को संगीत और कला जगत की देश और दुनिया में विख्यात हस्तियों पंडित रविशंकर जी, अकबर अली और बांग्ला आर्केस्ट्रा जगत के जाने-माने कलाकार तिमिर बरन भट्टाचार्य का सानिध्य प्राप्त था.
हिट बंगाली टेलीविजन रियलिटी शो सारेगामापा के मंच को खुद अपने रोजमर्रा के उपयोग के बाद फेंके गए सामानों से संगीत के बेजोड़ इंस्ट्रूमेंट बनाकर और खुद इंस्ट्रूमेंट को बजाकर मधुर संगीत के धुन से मंत्रमुग्ध कर देने वाले हुगली के श्रीरामपुर के शिल्पी हैं सोमनाथ बंधोपाध्याय जिनके घर को देखने पर ऐसा लगता है जैसे संगीत की देवी मां सरस्वती हर एक इंस्ट्रूमेंट में साक्षात विराजमान होकर बसी हुई है.
सोमनाथ बंदोपाध्याय बताते हैं कि उनके पिता अपने हाथों से बनाए गए म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट के द्वारा संगीत के मधुर धुनों की रचना करते थे और बचपन से ही पिता के सानिध्य में उन्हें संगीत और कला की शिक्षा मिली थी लेकिन पिता की मृत्यु के बाद परिवार के आर्थिक जरूरत को पूरा करने के लिए कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करनी शुरू कर दी.
साल 2015 में उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट तब आया जब उनके घर में काम करते समय एक राजमिस्त्री के हाथों टाइल्स नीचे गिर गया. टाइल्स के गिरते सोमनाथ के कानों में एक बार फिर मधुर संगीत के सुर ने तान छेड़ दी. बस फ‍िर क्या था, वहीं से सोमनाथ बंदोपाध्याय के जिंदगी के संगीत के जीवन में नई और दूसरी पारी की शुरुआत हो गई.
सोमनाथ बंदोपाध्याय बताते हैं कि बचपन से आज तक उन्होंने कभी बाजार से किसी भी म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट को खरीदकर नहीं बल्कि खुद अपने हाथों से बनाए गए इंस्ट्रूमेंट को बजा कर साक्षात मां सरस्वती की आराधना की. उन्होंने बताया कि उनके द्वारा बनाए गए म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट कोई नामी-गरामी उपकरण नहीं होते बल्कि रोजमर्रा के इस्तेमाल के बाद जो चीजें फेंक दी जाती है, उसी से वे संगीत के नायाब धुनों को छेड़ने वाले म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट को बनाते हैं. उनके द्वारा बनाए गए इंस्ट्रूमेंट बाजार में बिकने वाले नामी-गिरामी कंपनियों और ब्रांड के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट से किसी भी मुकाबले में कम नहीं हैं.
सोमनाथ बंदोपाध्याय द्वारा बनाए गए प्रमुख म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट में टूटे हुए टाइल से बनाए गए सेरेम‍िक टाइल्स तरंग, टूटे हुए दरवाजे खिड़कियों के कांच के टुकड़े से कांच तरंग, उपयोग के बाद फेंके गए कोल्ड ड्रिंक्स और सॉस की बोतलों से बोतल तरंग, प्लास्टिक की अनुपयोगी बोतलों से प्लास्टिक तरंग, जली हुए मिट्टी के टॉली से जली मिट्टी तरंग और नारियल की रस्सी के तानपुरा, तबला, गिटार, वीणा समेत अनेक दुर्लभ म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट के उपकरणों का निर्माण किया है.
उन्होंने बताया कि उनके म्यूजिक के इस सुनहरे सफर में उनकी सबसे बड़ी साथ ही रही उनकी अर्धांगिनी गीता बंदोपाध्याय जिन्होंने हर कदम पर उनका हौसला बढ़ाया और उनके साथ-साथ इन उपकरणों के निर्माण में और संगीत के नए धुन बनाने में उनकी सहायता की.


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