केंद्रीय गृह मंत्रालय ने किया सभी राज्यों से अनुरोध, भारतीय ध्वज संहिता का सख्ती से कराएं पालन

केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा है।

Update: 2022-01-15 10:34 GMT
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने किया सभी राज्यों से अनुरोध, भारतीय ध्वज संहिता का सख्ती से कराएं पालन
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केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा है, कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेल आयोजनों के अवसरों पर जनता जो कागज के बने राष्ट्रीय ध्वज (National flag) फहराते हैं उसे न तो तोड़ा जाए और न जमीन पर फेंका जाए. गणतंत्र दिवस समारोह (Republic day celebration) से पहले शुक्रवार को जारी एडवाइजरी में एमएचए ने भारतीय ध्वज संहिता के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है. एडवाइजरी में कहा गया है कि राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश के लोगों की आशाओं और आंकांक्षाओं के प्रतिक है. इसलिए इसे सम्मान मिलना चाहिए. राष्ट्रीय ध्वज के लिए स्नेह और निष्टा है. फिर भी भारतीय ध्वज संहिता को लेकर लोगों के साथ-साथ सरकारी संगठनों और एजेंसियों के बीच जागरूकता की कमी देखी जाती है.

एमएचए का सभी राज्योंं से अनुरोध
एडवाइजरी में कहा गया है कि भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेल आयोजनों के अवसरों पर कागज के बने राष्ट्रीय ध्वज को लहराया जा सकता है. एमएचए ने सभी राज्योंं से अनुरोध किया है कि यह सुनिश्चित करें कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेल आयोजनों के अवसरों पर जनता द्वारा कागज से बने झंडे को आयोजन के बाद न तो तोड़ा जाए और न जमीन पर फेंका जाए. साथ ही एमएचए ने कहा कि इस तरह के झंडों को निजी तौर पर ध्वज की गरिमा के अनुरूप निपटाया जाना चाहिए. उन्होंने सभी सरकारी कार्यालयों से तिरंगे के सम्मान के लिए जन जागरूकता कार्यक्रम चलाने का भी अनुरोध किया गया है.
प्लास्टिक से बने झंडों पर बैन
आपको बता दें कि देश में प्लास्टिक के झंडे का उपयोग करने पर रोक है. केंद्रीय गृह मंत्रालय इसे लेकर सभी राज्यों और केंद शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर भारतीय ध्वज संहिता की कड़ाई से पालन कराने को कहा है. गृह मंत्रालय में पत्र जारी कर कहा है कि प्लास्टिक के झंडे कागज के झंडे की तरह जैविक रूप से अपघटित नहीं होते हैं. झंडे की गरिमा के अनुरूप प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय झंडे का उचित निपटान सुनिश्चित करना भी एक व्यावहारिक समस्या है. इसलिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेल आयोजनों के अवसर पर भारतीय ध्वज संहिता 2002 के प्रावधानों के अनुसार जनता द्वारा केवल कागज केे बने झंडों का उपयोग किया जाए.


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