Una. ऊना। हिमाचल-पंजाब सीमा पर जेजों खड्ड में इनोवा गाड़ी बहने से मौत का शिकार हुए देहलां व भटोली गांव के आठ लोगों की चिताए एक साथ जली। उक्त मंजर देखकर इर किसी की आंख नम थी। भटोली गांव के अमरीक सिंह के तीन बच्चों बेटे हर्षित, बेटी भावना, बेटी अमानत, देहलां गांव के सुरजीत, उनकी पत्नी परमजीत कौर, बेटा गगनदीप व उनके भाई सरुप की पत्नी पलविंद्र कौर, बेटे नितिन की चिताएं जैसे ही भबौर साहिब श्मशानघाट जली तो हर कोई गमगीन हो गया। श्मशानघाट में बनाई गई भट्ठियां कम पड़ गई तो भटोली निवासी अमरीक सिंह के तीन बच्चों को एक ही चिंता पर मुखाग्रि दी गई। अमरीक सिंह ने अपने जिगर के टुकड़ों हर्षित, भावना व अमानत को मुखाग्रि दी।
वहीं सुरजीत के परिवार से एकमात्र जिंदा बचे उनके बेटे दीपक भाटिया ने अपने पिता सुरजीत, माता परमजीत कौर, भाई गगनदीप को मुखाग्रि दी, तो विदेश से लौटे नंद किशोर ने अपनी माता पलविंद्र कौर व भाई नितिन की चिताओं को मुखाग्रि दी। बिभौर साहिब श्मशानघाट में एक साथ आठ शवों को लाया गया था। मंगलवार सुबह देहलां गांव से पांच शव बिभौर साहिब पहुंचे, तो उसके कुछ देर बाद भटोली से अमरीक सिंह के तीन बच्चों के शव भी श्मशानघाट पहुंच गए। अपनों की चिताएं जलती देख अमरीक, दीपक व नंद किशोर सुध-बुध खो बैठे थे। तीनों का विलाप देखकर सभी लोगों की आंखों से अश्रुधारा बह रही थी। भटोली निवासी अमरीक सिंह व सरुप चंद का बेटा नंद किशोर सोमवार रात ही विदेश से अपने घर पहुंचे थे। दोनों जब अपने घर पहुंचे तो अपने परिवारिक सदस्यों के शव देखकर सुध-बुध खो बैठे।