शनिश्चरी अमावस्या पर त्रिवेणी घाट पर उमड़ा आस्था का सैलाब, क्षिप्रा में लगाई आस्था की डुबकी
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मध्य प्रदेश के उज्जैन में शनिश्चरी अमावस्या शनिदेव की आराधना का विशेष दिन रहता है. इस दिन शनि की महादशा, साढ़े साती, ढैया आदि में अनुकूलता के लिए शनिदेव की साधना और दान का महत्व बताया गया है. शुक्रवार से ही आसपास के शहर और ग्रामीण अंचलों से हजारों लोगों का धार्मिक नगरी में आना शुरू हो गया था. रात में मंदिर के पास ही कई श्रद्धालुओं ने भजन-कीर्तन किए.
बता दें, त्रिवेणी संगम पर शनिवार अलसुबह से ही शनिश्चरी अमावस्या का स्नान आरंभ हो गया था. नदी में पानी अधिक होने के कारण श्रद्धालुओं को घाट पर फव्वारे लगाकर स्नान कराने की व्यवस्था की गई. स्नान के बाद बेरिकेट्स से होकर श्रद्धालु हजारों की संख्या में नवग्रह शनि मंदिर में पूजन-अर्चन किया. यह सिलसिला शाम तक चला. त्रिवेणी स्थित शनि मंदिर के पुजारी पं. राकेश बैरागी ने बताया कि शनिश्चरी अमावस्या का पर्व शिव योग में मनाया जा रहा है.
आज के दिन त्रिवेणी संगम पर स्नान कर और भगवान शनिदेव के दर्शन और अभिषेक कर श्रद्धालु उनकी कृपा प्राप्त कर सकेंगे. इधर, जिला प्रशासन ने त्रिवेणी घाट पर स्नान पर्व के लिए तीन दिन पहले ही तैयारियां शुरू कर दी थीं. नदी में जलस्तर अधिक होने के कारण कलेक्टर की ओर से पीएचई के अधिकारियों को त्रिवेणी घाट पर महिला और पुरुष श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग फव्वारे लगाए गए थे. आज तड़के से संगम पर श्रद्धालु फव्वारे के द्वारा शिप्रा स्नान कर रहे हैं. स्नान के बाद घाट से ही शनि मंदिर तक लगे बैरिकेट्स में कतार में लगकर दर्शन कर रहे हैं.
शनिश्चरी अमास्या पर शिप्रा स्नान के बाद श्रद्धालुओं द्वारा घाटों पर ही पनौती के रूप में अपने पुराने वस्त्र और चप्पल-जूते छोड़ने की परंपरा है. यही कारण है कि आज सुबह त्रिवेणी घाट पर स्नान के बाद श्रद्धालुओं को घाट पर जहां जगह मिल रही थी, वहां वे अपने पुराने वस्त्र और जूते-चप्पल आदि पनौती के रूप में छोड़ रहे थे. कई जगह इसके ढेर लग गए थे. हालांकि बाद में जिला प्रशासन द्वारा छोड़ी गई पनौतियों की नीलामी कराई जाएगी. मान्यता है कि ऐसा करने से शनि का प्रकोप कम होता है.
शनिश्चरी अमावस्या पर इस बार शाम तक लगभग 70 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के आगमन और स्नान को देखते हुए संगम पर व्यवस्था की गई है. शनि मंदिर परिसर में बैरिकेट्स से होकर ही श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया गया. श्रद्धालु यहां मंदिर में शनि देव का पूजन कर रहे हैं और काले तिल और तेल भी भगवान को चढ़ा रहे हैं. यहां सुरक्षा-व्यवस्था के लिए पर्याप्त पुलिस बल को लगाया गया है. नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों की भी तैनाती की गई है.
मान्यता के अनुसार, शनिश्चरी अमावस्या पर पनौती के रूप में कपड़े और जूते-चप्पल स्नान के बाद छोड़ दिए जाते हैं. इससे ये पूरे क्षेत्र में फैले रहते हैं. इस बार नगर निगम ने सफाई के लिए विशेष टीमें बनाकर कर्मचारियों की तैनाती की है. इससे पूरा मंदिर क्षेत्र साफ नजर आ रहा है. छोड़ी गई पनौती को तत्काल उठाया जा रहा है. कचरे को भी डस्टबीन में डाला जा रहा है.