Hamirpur College में इस साल 1244 छात्रों ने ली एडमिशन

Update: 2024-08-06 10:20 GMT
Hamirpur. हमीरपुर। कालेजों में छात्रों की संख्या बढऩे की बजाए हर वर्ष कम होती जा रही है। ऐसे में कालेज प्रबंधकों की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं। उन्हें कालेज की सीटें भरना आए दिन मुश्किल होता जा रहा है। सबसे ज्यादा दिक्कत आट्र्स संकाय में कालेजों को झेलनी पड़ रही है। छात्र कालेज में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। कालेजों में लडक़ों की संख्यां हर वर्ष कम होती जा रही है। ज्यादातर लड़कियां ही कालेज में शिक्षा ग्रहण करने पहुंच रही हैं। छात्र ज्यादातर टेक्रीकल क्षेत्र में ही शिक्षा को ज्यादा तबज्जो दे रहे हैं। अगर हम हमीरपुर जिला के सबसे बड़े कालेज की बात करें, तो यहां पर भी स्थिति कुछ ठीक नहीं है। राजकीय महाविद्यालय हमीरपुर में इस वर्ष फस्र्ट ईयर में एक हजार के करीब छात्रों ने कम दाखिला लिया है। ऐसे में एक वर्ष में ही फस्र्ट ईयर छात्रों के दाखिले में 56 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है। अगर हम आट्र्स संकाय की बात करें, तो यहां पर 53 फीसदी, साइंस संकाय में 41 फीसदी और कॉमर्स संकाय में 92 फीसदी छात्रों ने बीते वर्ष के मुकाबले कम दाखिला लिया है, जोकि चिंता का विषय है। हमीरपुर कॉलेज में इस वर्ष फस्र्ट ईयर में 1244 छात्रों ने एडमिशन ली है। जबकि बीते वर्ष 2234 छात्रों ने फस्र्ट ईयर में
दाखिला लिया था।
ऐसे में फस्र्ट ईयर में इस वर्ष 990 छात्र कम हो गए हैं, जोकि चिंता का विषय है। हमीरपुर महाविद्यालय में इस वर्ष बीएससी में 450, बीए में 352, बी कॉम में 139, बीबीए में 101, बीसीए में 111, पीजीडीसीए में 33 और बी वॉक में 58 छात्रों ने दाखिला लिया है। जबकि बीते वर्ष हमीरपुर कॉलेज में फस्र्ट ईयर में 2234 छात्रों ने दाखिला लिया था। इनमें बीएससी में 1091, बीए में 666, बी कॉम में 148, बीबीए में 101, बीसीए में 112, पीजीडीसीए में 47 और बी वॉक में 71 छात्रों ने दाखिला लिया था। कालेजों को अपनी सीटें भरना हर वर्ष मुश्किल होता जा रहा है। साइंस संकाय के गिने-चुने सब्जेक्ट में ही छात्रों की मेरिट लिस्ट लग रही है। जबकि दूसरे सब्जेक्ट में छात्रों को पहले आओ पहले पाओ की तर्ज पर ही एडमिशन दी जा रही है। कालेजों को आट्र्स संकाय की सीटें भरना मुश्किल हो गई हैं। ज्यादातर छात्र साइंस व कॉमर्स संकाय में ही शिक्षा के लिए आगे आ रहे हैं। दूसरा जगह-जगह नए कॉलेज खोले जा रहे हैं। इसके चलते भी छात्रों की सं यां में कमी आई है। कालेजों में छात्र की कम संख्या डाक्टर व इंजीनियर बनाने की होड़ भी इसका मुख्य कारण बताया जा रहा है। क्योंकि वर्तमान समय में लोगों के एक या दो बच्चे हैं। ऐसे मेें अभिभावक अपने बच्चों को डाक्टर या फिर इंजीनियर बनाने में लगे हुए हैं। कॉलेजों में सिर्फ उन अभिभावकों के बच्चे ही पहुंच रहे हैं, जोकि मेडिकल व इंजीनियरिंग कॉलेजों की फीसों का बोझ नहीं उठा पा रहे हैं। उनके बच्चे ही ज्यादातर कॉलेजों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। वहीं हमीरपुर कॉलेज के प्राचार्य डा. प्रमोद सिंह पटियाल का कहना है कि फस्र्ट ईयर में इस बार छात्रों की सं यां में और गिरावट आई है। आट्र्स संकाय में सीटों को भरना भी मुश्किल हो गया है। लडक़े कॉलेजों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए कम रूचि दिखा रहे हैं। लड़कियों के मुकाबले कॉलेज में लडक़ों की संख्या काफी कम है।
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