नई दिल्ली: कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। राज्य उडुपी जिले के कुंडापुर में स्थित सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज के बाहर छात्राएं हिजाब पर अड़ी हुई हैं और उनकी मांग है वो हिजाब उतारकर कॉलेज में प्रवेश नहीं करेंगी। हालांकि अपनी मांगों पर अड़ी छात्राओं को टीचर्स ने स्कूल के गेट से लौटा दिया है। इस पूरे घटना एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
इस वायरल वीडियो में छात्राओं और शिक्षकों के बीच हिजाब को लेकर बहस को देखा जा सकता है। इस बीच राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश का भी बयान सामने आया है। सामाचर एजेंसी एएनआई के मुताबिक राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा, "उन्होंने पहले हिजाब नहीं पहना था और यह समस्या 20 दिन पहले ही शुरू हुई थी।
वहीं, कर्नाटक के उडुपी के कुंडापुर इलाके में एक छात्रा कहती है, ''हिजाब हमारी जिंदगी का हिस्सा है। हमारे सीनियर्स उसी कॉलेज में हिजाब पहनकर पढ़ते थे। अचानक यह नया नियम कैसे लागू हो गया? हिजाब पहनने से क्या दिक्कत है? कुछ समय पहले तक कोई समस्या नहीं थी।"
इससे पहले गुरुवार को हिजाब पहनकर आईं मुस्लिम छात्राओं को कॉलेज के प्राचार्य ने गेट पर ही रोक लिया। प्राचार्य ने छात्रों से कहा कि उन्हें कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति नहीं है और उन्हें हिजाब उतारकर कक्षाओं में जाने को कहा।
छात्रों ने प्राचार्य से बात की और उन्हें बताया कि यथास्थिति के सरकारी आदेश में कुंडापुर कॉलेज का जिक्र नहीं है। प्राचार्य ने उन्हें बताया कि सरकार की ओर से जारी परिपत्र पूरे राज्य में लागू होता है। कॉलेज में बुधवार को उस समय गंभीर स्थिति देखी गई थी जब कक्षाओं के अंदर छात्राओं के हिजाब पहनने के विरोध में लगभग 100 हिंदू छात्र भगवा चोला पहनकर कक्षाओं में आ गए थे। हालांकि, उन्होंने बृहस्पतिवार को अपना विरोध प्रकट नहीं किया।
कुंडापुर के विधायक एच. श्रीनिवास शेट्टी द्वारा बुधवार को मुस्लिम लड़कियों और उनके माता-पिता के साथ बुलाई गई बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई और माता-पिता ने जोर देकर कहा कि उनके बच्चों को हिजाब पहनने का अधिकार है।
इस बीच, राज्य के मत्स्य पालन मंत्री और उडुपी के जिला प्रभारी एस अंगारा ने उडुपी में संवाददाताओं से कहा कि राज्य सरकार द्वारा कक्षाओं के अंदर हिजाब को प्रतिबंधित करने का आदेश तब तक जारी रहेगा जब तक कि इस मुद्दे पर अध्ययन करने के लिए नियुक्त समिति अपनी रिपोर्ट नहीं दे देती। उन्होंने कहा, "सभी को शिक्षण संस्थानों में निर्धारित ड्रेस कोड का पालन करना होगा। अलग-अलग संस्थानों में अलग-अलग ड्रेस कोड नहीं हो सकते।