आयुष्मान योजना का लाभ मध्यमवर्ग को भी मिलेगी, कैशलेश इलाज की सुविधा, निजी कंपनियों के कर्मचारियों के लिए खुल सकते हैं योजना के दरवाजे

देश के 55 करोड़ गरीबों के लिए शुरू की गई आयुष्मान योजना का लाभ जल्द ही मध्यमवर्ग को भी मिल सकता है। सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है और आगामी बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसका एलान कर सकती हैं।

Update: 2022-01-29 16:14 GMT

नई दिल्ली। देश के 55 करोड़ गरीबों के लिए शुरू की गई आयुष्मान योजना का लाभ जल्द ही मध्यमवर्ग को भी मिल सकता है। सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है और आगामी बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसका एलान कर सकती हैं। आयुष्मान भारत के तहत 10.74 करोड़ परिवारों को पांच लाख रुपये तक सालाना मुफ्त और कैशलेश इलाज की सुविधा दी गई है।

कई तरह के विकल्पों पर विचार
केंद्र सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, मध्यमवर्ग को आयुष्मान भारत में शामिल करने की प्रक्रिया पर मंथन कुछ महीने पहले ही शुरू हो गया था। मध्यमवर्ग को इसके दायरे में लाने के लिए कई तरह के विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
इन्‍हें मिल सकता है लाभ
इसमें सालाना आय से लेकर संगठित और गैर संगठित क्षेत्र के कामगार जैसे आधार हो सकते हैं। लेकिन मध्यमवर्ग को शामिल करने के लिए निजी कंपनियों और संस्थाओं में काम करने वालों को प्राथमिकता मिल सकती है। इसके लिए निजी कंपनियों को सरकार सीधे तौर पर अपने कर्मचारियों को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ने का विकल्प खोल सकती है।
कर्मचारियों को मिलेगी सुरक्षा
इससे इन निजी कंपनियों को काफी कम प्रीमियम में अपने कर्मचारियों को स्वास्थ्य सुरक्षा देने का अवसर मिल जाएगा। बहुत सारी कंपनियां सामूहिक स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराने के लिए अपने कर्मचारियों से प्रीमियम की रकम वसूल करती है। ऐसे में कर्मचारियों को सीधे आयुष्मान भारत योजना से जुड़ने का विकल्प भी दिया जा सकता है।
केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को जोड़ा
ध्यान देने की बात है कि पिछले दिनों गृह मंत्रालय की पहल पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को आयुष्मान भारत योजना से जोड़ दिया गया है और वहां काम करने वाले सभी जवानों को आयुष्मान कार्ड दिया जा रहा है। आयुष्मान भारत से मध्यमवर्ग को जोड़ने की दिशा में इसे पहला कदम बताया जा रहा है।
10.74 करोड़ परिवारों को रखा गया था
2018 के बजट में जब तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आयुष्मान भारत योजना की घोषणा की थी, तब उसमें पहले से चिह्नित 10.74 करोड़ परिवारों को रखा गया था। इन परिवारों का चयन 2011 में हुई सामाजिक-आर्थिक जनगणना के आधार पर किया गया था। यानी इसमें किसी को हटाने या जोड़ने की कोई गुंजाइश नहीं थी। शायद यही कारण है कि इस योजना में अभी तक एक तिहाई से भी कम लाभार्थियों का आयुष्मान कार्ड बन पाया है।
एक बड़े वर्ग को मिल सकता है फायदा
इसके तहत सभी 55 करोड़ गरीबों को आयुष्मान कार्ड दिया जाना था। लेकिन योजना लागू होने के साढे़ तीन साल बाद भी केवल 17.35 करोड़ आयुष्मान कार्ड ही बनाए जा सके हैं। कोरोना के कारण स्वास्थ्य ढांचे पर आए अत्यधिक बोझ के बाद सरकार अब बड़े पैमाने पर लाभार्थियों को ढूंढने और उन्हें आयुष्मान कार्ड जारी करने का अभियान चलाने की तैयारी में जुटी है।
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