Industries और सीवर की गंदगी ने जहरीली कर दी यमुना

Update: 2024-06-03 11:52 GMT
पांवटा साहिब। यमुना नदी के तट के किनारे बसा हुआ एक शहर पांवटा साहिब है। यहां लगभग सैकड़ों सालों से मां यमुना बह रही है, परंतु अब यमुना नदी की हालत बहुत खराब हो गई है। यमुना नदी अब खुद बयां कर रही है कि वह प्रदूषण की चपेट में है। हिमाचल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की प्यास यमुना नदी बुझाती है, परंतु अब सियासतदानों और सिस्टम ने उसे ही प्यासी बना दिया है। पांवटा में खनन माफियाओं के चलते नाले के रूप में उतरी यमुना सरकार 
Yamuna government descended
 और सामाजिक संस्थाओं की तमाम व्यवस्थाओं को कटघरे में खड़ा कर रही है। सामान्य दिनों में यमुना को जीवित रखने के लिए बैराज से 352 क्यूसेक पानी छोड़ा जाता है जो तपती गर्मी और रेत में चंद किलोमीटर में सूख जाता है।

फैक्ट्रियों के अलावा नगर परिषद के नाले, सीवरेज ट्रीटमेंट का दूषित पानी भी जीवनदायिनी यमुना में छोड़ा जा रहा है। पंडितों का कहना है कि यमुना धार्मिक मान्यता में गंगा की तरह ही पवित्र है। पांवटा साहिब का अस्तित्त्व यमुना नदी से है। यहां यमुना नदी गुरुद्वारा पांवटा साहिब के साथ स्थित है। सैकड़ों श्रद्धालु हर दिन यहां आकर स्नान करते हैं, परंतु आज यमुना नदी दूरदर्शिता का शिकार हो रही है। यदि किसी भी सरकार की मंशा होती तो गंगा की तरह विकसित होती। यहां विदेश से लोग आते, कारोबार बढ़ता और उनकी आर्थिक दशा बेहतर होती इस दिशा में किसी ने नहीं सोचा। यमुना का अस्तित्त्व प्रदूषण और खनन के कारण खतरे में है। किसी भी पार्टी के जनप्रतिनिधि ने पांवटा साहिब में यमुना को टूरिज्म के रूप में विकसित करने का एजेंडा ही नहीं बनाया। पांवटा की यह धरा पर्यटन के लिहाज से प्रदेश में अग्रणी हो सकती है।
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