संविधान की शपथ लेकर एक दूजे के हो गए वर-वधु, बिना पंडित और मंत्र के हो गई शादी

दोनों को संविधान की प्रस्तावना की शपथ दिलाई गई.

Update: 2021-07-19 04:35 GMT

मध्य प्रदेश के सीहोर में अग्नि नहीं, बल्कि बाबा साहेब अंबेडकर की फोटो को साक्षी मानकर वर-वधु ने सात फेरे लिए. न मंगलसूत्र था और ना ही मांग में सिंदूर भरा गया, संविधान की शपथ लेकर नव दंपति एक दूजे के हो गए. वर-वधु ने एक दूजे को माला पहनाई, जिसके बाद दोनों को संविधान की प्रस्तावना की शपथ दिलाई गई.

मध्य प्रदेश के सीहोर में मालवीय समाज के ग्राम मुल्लानी के दीपक मालवीय की शादी शाजापुर के लसूड़िया गौरी की रहने वाली आरती मालवीय के साथ हुई. इस शादी में मंत्रोच्चारण की आवाजें नहीं, बल्कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना की शपथ सुनाई दी.
वर-वधु ने पहले संविधान निर्माता डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर के ​फोटो पर माल्यार्पण किया. इसके बाद वर-वधु ने एक दूसरे को वरमाला पहनाई और भारतीय संविधान की प्रस्तावना का वाचनकर शपथ दिलवाई गई.
संविधान और डॉ. आंबेडकर के चित्र के समक्ष फेरे लेकर वैवाहिक जीवन की सामाजिक जिम्मेदारियों के निर्वहन का वचन लिया और विवाह बंधन में बंध गए. इस मौके पर मौजूद दोनों परिवार के लोगों ने दूल्हा और दुल्हन को आर्शीवाद दिया.
शहर के नदी चौराहा स्थित मालवीय समाज के मंदिर में यह विवाह संपन्न हुआ, जिसमें वर-वधु की ओर से 10 से 15 लोग ही शामिल हुए और सभी ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया.
दूल्हे दीपक मालवीय ने बताया कि आज हमें गर्व हो रहा है. हमारे संविधान निर्माता बाबा साहब के चित्र के समक्ष फेरे लेकर विवाह हुआ है. समाज के लोग इसी तरह आगे आएं और शादी करें.
दुल्हन आरती मालवीय ने कहा कि संविधान की शपथ लेकर जीवन के नए सफर की शुरुआत की है. हमें काफी अच्छा महसूस हो रहा है. उन्होंने कहा कि लोगों को फिजूल खर्ची रोकने के लिए इस तरह के कर्म खर्च वाले विवाह का आयोजन करना चाहिये.


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