पटना: बिहार की सियासत को समझने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सुशील मोदी की जोड़ी को कभी नहीं भूल सकते हैं. बिहार में एनडीए की सरकार में हमेशा सुशील मोदी, नीतीश कुमार को सियासी बैकअप देते रहे. राज्यसभा सांसद बन जाने के बाद भी सुशील मोदी ने नीतीश को सपोर्ट करना नहीं छोड़ा है.
राज्सभा सांसद बनने के बाद सुशील मोदी बिहार के सियासी मसलों पर ज्यादात्तर चुप ही रहते थे. लेकिन बोचहां उपचुनाव में पार्टी की हुई दुर्गति के बाद वे मुखर हुए हैं और सोशल मीडिया पर बीजेपी के बड़बोले नेताओं की जमकर क्लास ले रहे हैं.
सुशील मोदी ने नीतीश कुमार के पक्ष में ट्वीट करते हुए उन नेताओं को नसीहत दी है, जो बेवजह नीतीश कुमार को बिहार से रिटायर करने पर तुले हुए हैं. नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी करने वालों पर तंज कसते हुए और कड़ा प्रहार करते हुए सुशील मोदी ने ट्वीट कर कहा कि जब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि बिहार में एनडीए सरकार नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही कार्यकाल पूरा करेगी, तब भी यह झूठ फैलाते रहना थेथरोलाजी है कि भाजपा बीच में ही अपना मुख्यमंत्री बनवाना चाहती है.
सुशील मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री को लेकर निराधार अटकलबाजी जारी रखना दुर्भाग्यपूर्ण है. इस शरारत का कुछ असर विधानसभा के बोचहां उपचुनाव पर भी पड़ा होगा. सुशील मोदी ने साफ तौर पर एनडीए के बोचहां उपचुनाव में हार का दोषी नीतीश के खिलाफ टिप्पणी करने वाले नेताओं पर लगा दिया.
उन्होंने आगे कहा कि बिहार विधानसभा का 2020 का चुनाव एनडीए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चेहरे पर वोट मांगते हुए लड़ा था. लोगों ने इस पर भरोसा किया. जब एनडीए को नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम करने का जनादेश 2025 तक के लिए हैं, तब किसी किंतु-परंतु के साथ बीच में बदलाव का कोई सवाल ही नहीं है. सुशील मोदी हाल में बिहार में नीतीश कुमार को लेकर शुरू हुई अटकलबाजी से नाखुश हैं, सुशील मोदी लगातार नीतीश के सपोर्ट में खड़े हैं. उनके ट्वीट से साफ झलका कि सुशील मोदी बिहार के कुछ बड़बोले नेताओं से आहत हैं.
सुशील मोदी ने लगे हाथों विपक्ष पर भी तंज कसते हुए कहा कि विपक्ष के पास नीतीश सरकार के विरुद्ध न कोई ठोस मुद्दा है, न सदन में संख्या बल है और न लालू-राबड़ी राज की विफलताओं के कारण उनके पास आलोचना का कोई नैतिक बल है. ऐसे में वे नीतीश कुमार के पद से हटने की तरह-तरह की बेततुकी अटकलों को हवा देकर सिर्फ राजनीतिक अस्थिरता पैदा करना चाहते हैं.
सियासी जानकार मानकर चल रहे हैं कि बीजेपी में सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है. उधर केंद्रीय नेतृत्व बोचहां में मिली हार के बाद ये जान गया है कि बिहार में बीजेपी नेता सिर्फ बयानबाजी करते हैं, जमीन पर काम नहीं करते हैं. कहते हैं कि हाल के दिनों में नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद छोड़ने को लेकर यहां तक कयास लगाया गया कि नीतीश कुमार कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार हैं, लेकिन वे अपना उत्तराधिकारी बिहार में सिर्फ और सिर्फ सुशील मोदी को देखना चाहते हैं. फिलहाल सुशील मोदी का ये ट्वीट बीजेपी के अंदर ही सियासी तूफान लाने के लिए काफी है.