सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, कहा- ये कोई तरीका नहीं, जानिए पूरा मामला

Update: 2021-09-29 11:21 GMT

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बेकार याचिकाएं दाखिल करने पर 25 लाख रुपए का जुर्माना ना चुकाने पर एक एनजीओ के अध्यक्ष को अदालत को लगातार बदनाम करने और डराने के अवमानना का दोषी ठहराया है. कोर्ट ने कहा, NGO सुराज इंडिया ट्रस्ट के अध्यक्ष राजीव दहिया ने अदालत के अधिकार क्षेत्र का बार-बार दुरुपयोग करते हुए 64 जनहित याचिका दायर करने के लिए उन पर लगाए गए 25 लाख रुपए का भुगतान नहीं किया. इस मामले में अब 7 अक्टूबर को सुनवाई होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, दहिया को अपने किए का कोई पछतावा नहीं है. हालांकि, सजा के मुद्दे पर उसे सुनवाई का अधिकार नहीं है. लेकिन हम फिर भी उसे अंतिम सजा के सवाल पर उसे सुनने का एक और मौका देते हैं.
दरअसल अदालत की अवमानना का मामला चले या नहीं इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था. सुप्रीम कोर्ट ने NGO अध्यक्ष को कहा था कि तीन दिनों के भीतर माफीनामा दाखिल कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल ने अध्यक्ष राजीव दहिया को हिंदी में समझाते हुए कहा कि न्याय व्यवस्था में एक ही पक्ष जीतता है दूसरा हारता है. इसका मतलब ये नहीं कि न्याय हुआ ही नहीं. न्याय वो नहीं है जो आप चाहते हो. न्याय तो अपनी नजर और नजरिए से चलता है, आपकी इच्छा से नहीं. आप जिस भाषा में बोल रहे हैं, हम उसी भाषा में आपको समझा रहे हैं.
कोर्ट ने कहा, आप सीधे सीधे न्याय व्यवस्था को ही दोष दे रहे हैं और न्यायपालिका और जजों को जो मन में आए वो बोलते जा रहे हैं. हमारा काम न्याय करने का है. हम न्याय करने को बैठे हैं। आपके कुछ भी बोलने से हम पर फर्क नहीं पड़ेगा. कानून तो सबके लिए बराबर है. अब ये आपके ऊपर है कि आप उसका इस्तेमाल कैसे करते हो!.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अब आप अपनी लाइसेंसी पिस्टल से गोली चला कर किसी को मार दो फिर कहो कि गलती मेरी नहीं लाइसेंस देने वाले की है. ये कोई तरीका है? ऐसे नहीं चलेगा. लेकिन आपकी आदत है कि इतना कीचड़ उछालो कि सामने वाला खुद ही पीछे हट जाए.
इससे पहले दिसंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सुराज इंडिया ट्रस्ट NGO को 25 लाख रुपये जुर्माना के देने होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने सुराज इंडिया ट्रस्ट NGO की आदेश को वापस लेने की याचिका को खारिज किया था. सुप्रीम कोर्ट ने सुराज इंडिया ट्रस्ट और उसके अध्यक्ष राजीव दहिया को आजीवन कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने से भी बैन कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने कई याचिकाएं दाखिल की थी जिसकी वजह से आप पर जुर्माना लगाया गया, जिस बेंच ने आप पर जुर्माना लगाया था उसने आपको अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया था.
तत्कालीन चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने ट्रस्ट से सवाल किया था कि आपने अब तक 64 याचिकाएं दाखिल की थी और सभी खारिज हुईं. आखिर आप ऐसा कैसे कर सकते हैं. ट्रस्ट की याचिकाओं से कोर्ट का समय बर्बाद हुआ है.
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