सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में जज नियुक्त करने के लिए भेजे गए नामों की जानकारी देने से किया इन्कार
नई दिल्ली,। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में जजों के रूप में नियुक्ति के लिए शीर्ष अदालत के वकीलों के नाम प्रस्तावित करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के पत्र के बारे में सूचना के अधिकारी यानी आरटीआइ अधिनियम के तहत जानकारी देने से इन्कार कर दिया है।
एससीबीए अध्यक्ष विकास सिंह ने इस संबंध में पत्र लिखने का दावा किया था, जिसके बाद वकील अमृतपाल सिंह खालसा ने शीर्ष अदालत से आरटीआइ के तहत इसकी जानकारी मांगी थी।
शीर्ष अदालत ने कहा कि जो जानकारी मांगी गई है उसे तीसरे पक्ष की जानकारी होने के नाते आरटीआइ की धारा 8 (1)(ई) और धारा 11 (1) के प्रविधानों के तहत छूट दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट के एडिशनल रजिस्ट्रार और सीपीआइओ अजय अग्रवाल ने कहा, 'रिकार्ड में ऐसा कुछ उपलब्ध नहीं है जिसके आधार पर मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराई जा सके। अत: कोई सूचना नहीं है।'
खालसा ने सीपीआइओ से एससीबीए की तरफ से 31 मई को भेजे गए पत्र के साथ ही ऐसा कोई आदेश, पत्र, दस्तावेज या अन्य संबंधित जानकारी मांगी थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससीबीए के प्रस्ताव को मंजूरी देने की बात कही गई हो।
वहीं, हाल ही में केंद्र ने जानकारी दी थी कि सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने पिछले एक साल में विभिन्न हाई कोर्ट में 80 जजों की नियुक्ति की सिफारिश की। इनमें 45 जजों की नियुक्ति हो चुकी है, जबकि बाकी प्रस्ताव प्रक्रिया के अधीन हैं। कानून मंत्री किरण रिजिजू ने राज्यसभा में लिखित जवाब में बताया था कि एक जुलाई, 2020 से 15 जुलाई 2021 तक सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने विभिन्न हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए 80 नामों की सिफारिशें कीं। इनमें 45 की नियुक्ति की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट जज की नियुक्ति की प्रक्रिया थोड़ी लंबी है। राज्य व केंद्र स्तर पर कई संवैधानिक प्राधिकारों से अनुमोदन लेना होता है। इसलिए, जजों की नियुक्ति में वक्त लगता है।
25 हाई कोर्ट में जजों के कुल 1,098 पद स्वीकृत हैं। हालिया जानकारी के मुताबिक, 645 जज काम कर रहे हैं, जबकि 453 पद खाली हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट के लिए कोलेजियम ने 11 नामों की संस्तुति की, जिनमें सात की नियुक्ति हो चुकी है। दिल्ली हाई कोर्ट के लिए छह नामों की सिफारिश की गई थी, जिनमें दो की नियुक्ति हुई है।