इत्र कारोबारी मलिक मियां की कहानी: शमामा से जुटाई अकूत दौलत, इतने मकान कि चकरा गई आयकर विभाग की टीम
कन्नौज: एस मोहम्मद अय्यूब एंड मोहम्मद याकूब परफ्यूमर्स। इत्र कारोबार से जड़ी कन्नौज की यह फर्म खुशबू की दुनिया में एक ब्रांड है। दो सदी से भी पुरानी इस फर्म में तैयार होने वाले इत्र की खुशबू दुनिया के कई देशों तक फैली है। अबर देशों में तो इस फर्म में तैयार होने वाले इत्र की डिमांड है।
इतना कुछ होते हुए भी यह फर्म गलियों के बीच एक ऐसे मकान में चलती है, जिसमें पूरा एक पूरा मोहल्ला बसा हुआ है। यहां जांच करने वाली टीम की मानें तो इस फर्म के अंदर पूरा एक शहर बसा हुआ है। इसमें अलग-अलग 50 से ज्यादा मकान एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। रास्ता एक ही गली से होकर जाता है। एक बार मकान में जाने पर वहां से वापस आने में मशक्कत करनी पड़ती है। मकान में ही लिफ्ट लगी है। जांच करने पहुंची टीम के सदस्य एक-एक करके जब इन मकानों में दाखिल हुए तो चकरा गए। रिहाईशी इलाके से लेकर इत्र बनाने का कारखाना भी उसी में है।
शहर के बीचोबीच है फर्म, 125 साल पुराना रजिस्ट्रेशन
कन्नौज शहर के बीचोबीच मंडई और पंसारियान मोहल्ले के बीच हिस्से में स्थित है मलिक मियां की फर्म एस मोहम्मद अय्यूब एंड मोहम्मद याकूब परफ्यूमर्स। इस फर्म का रजिस्ट्रेशन ही अब से 125 साल पहले 1896 में हुआ था। हालांकि यहां इत्र का काम उससे भी पहले से होता आ रहा है। इस फर्म से जुड़े लोग बताते हैं कि यहां इत्र का कारोबार का इतिहास 200 साल से भी पुराना है। मलिक मियां के परबाबा ने इसकी शुरुआत की थी। उनके बाद की पुश्तें भी इसी काम से जुड़ती चली गईं। कारोबार के करीब 100 साल पूरा होने के बाद इसे 1896 में रजिस्टर्ड करवाया गया, नाम दिया गया एस मोहम्मद अय्यूब एंड मोहम्मद याकूब परफ्यूमर्स।
एक सदी से पुराना मकान, अब भी उसी में होता है काम
फर्म के रजिस्ट्रेशन के समय का ही मकान बना है। उसी मकान में इत्र बनाने का काम होता है। बाद में मकान का दायरा बढ़ता गया। इमारतें ऊंची होती गईं, लेकिन काम वहीं से होता रहा। अब तो इस कारोबार को संभालने वालों ने अपना दायरा विदेशों तक बढ़ा दिया है। पारिवारिक बंटवारा में कईयों ने अपनी-अपनी अलग फर्म बना रखी है, लेकिन जुड़े सभी लोग मुख्य फर्म से ही हैं।