Adani के खिलाफ प्रदेश सरकार की अपील मंजूर

Update: 2024-07-19 10:04 GMT
Shimla. शिमला। मैसर्स अडानी पावर लिमिटेड के 280 करोड़ रुपए ब्याज सहित लौटने से जुड़े मामले में प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील को मंजूर कर लिया है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर व न्यायाधीश बीसी नेगी की खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि फाइलों पर टिप्पणियों को चुनिंदा रूप से पढऩे और रिकॉर्ड पर अन्य प्रासंगिक सामग्री की अनदेखी के आधार पर अदानी द्वारा धन वापसी का दावा पुख्ता नहीं है। इस मद्दे पर कानूनी स्थिति पहले से ही स्पष्ट है कि फाइल पर दर्ज एक नोट महज़ एक नोटिंग को सरल बनाने वाला है। यह केवल किसी व्यक्ति विशेष की राय की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी कोई कानूनी मान्यता नहीं है। इसे सरकार का निर्णय नहीं माना जा सकता। उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट की एकल पीठ ने सरकार को जंगी-थोपन-पोवारी विद्युत परियोजना के लिए जमा किए गए 280 करोड़ रुपए की राशि वापस करने के आदेश दिए थे। सरकार ने इस मामले में अपील करने में देरी कर दी थी। अत: सरकार को अपील दायर करने में हुई देरी को माफ करने की अर्जी भी देनी पड़ी थी। सरकार ने फीस वापसी के आदेशों पर रोक लगाने की गुहार भी लगाई थी, परंतु कोर्ट ने एकल पीठ के आदेशों पर रोक लगाने से
इनकार कर दिया था।

हाई कोर्ट की एकल पीठ ने गत 12 अप्रैल को जारी फैसले में सरकार को आदेश दिए थे कि वह चार सितंबर, 2015 को कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार दो महीने की अवधि में यह राशि वापस करे। एकल पीठ ने यह आदेश मैसर्स अदाणी पावर लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर पारित किए थे और यह आदेश भी दिए थे कि यदि सरकार यह राशि दो माह के भीतर प्रार्थी कंपनी को वापस करने में विफल रहती है, तो उसे नौ फीसदी सालाना ब्याज सहित यह राशि अदा करनी होगी। 12 अप्रैल को पारित इस फैसले को सरकार ने अपील के माध्यम से खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी। कंपनी ने विशेष सचिव के सात दिसंबर, 2017 को जारी पत्राचार को हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर चुनौती दी थी। कोर्ट ने कंपनी की याचिका को स्वीकारते हुए सात दिसंबर को जारी आदेश को रद्द करते हुए एकल पीठ ने कहा था कि जब कैबिनेट ने चार सितंबर, 2015 कोए प्रशासनिक विभाग द्वारा तैयार किए गए विस्तृत कैबिनेट नोट पर ध्यान देने के बादए स्वयं ही यह राशि वापस करने का निर्णय लिया था, तो समझ में नहीं आता कि अपने ही निर्णय की समीक्षा करने का निर्णय क्यों लिया गया। खंडपीठ ने एकल पीठ के निर्णय को रद्द कर दिया। साथ ही अदानी द्वारा दायर अपील को भी खारिज कर दिया जिसके तहत राशि जमा करवाने की तारीख से 12 फीसदी दिए जाने की गुहार लगाई गई थी।
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