सेना के 30 जवानों को झटका, केंद्र पर भी लगाया आरोप, जानें पूरा मामला

कहा, केन्द्र सरकार अपनी मनमानी करते हुए इनके खिलाफ मुकदमा चलाने और मृतकों को इंसाफ दिलाने से रोक रही है।

Update: 2024-07-16 02:46 GMT

सांकेतिक तस्वीर

नई दिल्ली: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में नागालैंड सरकार की तरफ से एक रिट पिटीशन फाइल की गई। इस पिटीशन के मुताबिक राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी, जिसके तहत् सेना के 30 जवानों के खिलाफ मुकदमा चलाने पर रोक लगा दी थी। इन जवानों के खिलाफ नागालैंड की पुलिस ने आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए चलाए जा रहे अभियान के दौरान 13 आम नागरिकों की हत्या करने के लिए एफआईआर दर्ज कर रखी है।
पिटीशन दायर करते हुए स्टेट एडवोकेट जनरल जे बी पारदीवाला ने कहा कि पुलिस के पास अहम् सबूत हैं, जिससे इन जवानों के खिलाफ लगे आरोपों को साबित किया जा सकता है। केन्द्र सरकार अपनी मनमानी करते हुए इनके खिलाफ मुकदमा चलाने और मृतकों को इंसाफ दिलाने से रोक रही है।
नागालैंड सरकार ने कहा कि केन्द्र सरकार की तरफ से इस मामले की जांच करने के लिए पहुंची टीम ने न तो स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम(राज्य पुलिस) की तरफ से जुटाए गए सबूतों की तरफ न ही ध्यान दिया और न ही ढ़ंग से जांच की। उन्होंने मनमाने ढ़ंग से अपनी रिपोर्ट तैयार की और इन आर्मी के जवानों के खिलाफ मुकदमा न चलाने का आदेश जारी कर दिया।
पिटीशन के जवाब में मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने 4 हफ्ते के अंदर केंद्र सरकार और रक्षा मंत्रालय से अपना जवाब दाखिल करने का नोटिस जारी कर दिया है।
जुलाई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इन जवानों पर मुकदमा चलाने पर रोक लगा दी थी। क्योंकि तब इनकी पत्नियों की तरफ से याचिका दायर की गई थी कि राज्य सरकार बिना केंद्र की मंजूरी लिए उनके पतियों पर मुकदमा चला रही है। उन्होंने एफआईआर को रद्द करने की भी मांग की थी, जिसके बाद नागालैंड सरकार ने केंद्र से मंजूरी लेने की कोशिश की लेकिन केंद्र ने पिछले साल 28 फरवरी को मंजूरी देने से इनकार कर दिया।
राज्य सरकार ने कहा कि सेना ने एक कोयला की खदानों के मजदूरों से भरी एक कार पर बिना किसी पूछताछ के फायरिंग कर दी थी। जिसमें कुल 6 लोगों की मौत हो गई। सेना की तरफ से जारी बयान में कहा गया था कि वे सभी लोग बंदूकों से लैस थे और काले कपड़े पहने हुए थे, हमें देखते ही वो तेजी के साथ गाड़ी से कूद पड़े। इस घटना के बाद पास के गांव वालों और सेना के जवानों के बीच झड़प हुई जिसमें 7 नागरिक और एक जवान मारे गए थे।
राज्य सरकार का कहना है कि सेना के जवानों को इस इलाके की जानकारी नहीं है यहां पर बंदूक लेकर घूमना आम बात है। राज्य पुलिस की स्पेशल टीम द्वारा एकत्र किए गए सभी सबूतों को केन्द्र के पास भेज दिया गया था।
Tags:    

Similar News

-->