नदी-नाले सूखे, हिमाचल में बिजली का संकट

Update: 2025-01-06 09:54 GMT
Shimla. शिमला। प्रदेश में बिजली का संकट लगातार गहरा रहा है। आने वाले दिनों में हालात ऐसे ही रहते हैं, तो यहां ज्यादा बुरी हालत होगी। सर्दियों के दिनों में नदियों व खड्डों में पानी की स्तर कम होने से परेशानी बढ़ रही है। यह सिलसिला मार्च महीने तक चलेगा। अच्छी बारिश हो जाती है, तो ही जलस्तर में कुछ इजाफा हो सकता है अन्यथा यहां कई प्रोजेक्ट बंद हो चुके हैं और कई प्रोजेक्ट बंद होने की कगार पर हैं। हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड लिमिटेड के 26 पावर प्रोजेक्टों में मात्र 17 लाख यूनिट रोजाना का बिजली उत्पादन रह गया है। इन परियोजनाओं में कई प्रोजेक्ट बंद हो चुके हैं और थोड़े बहुत ही चल रहे है। किसी परियोजना में दो मेगावाट बिजली उत्पादित हो रही है, तो किसी में तीन मेगावाट। ऐसे में रोजाना 17 लाख यूनिट तक आंकड़ा पहुंच रहा है। राज्य को बाहर से अब ज्यादा बिजली खरीदनी पड़ रही है। बैंकिंग के माध्यम से पंजाब राज्य से प्रदेश को 129 लाख यूनिट रोजाना बिजली आ रही है वहीं खरीदकर 65 लाख यूनिट तक प्रबंध करना पड़ रहा है। खरीदकर कई बार ज्यादा बिजली भी लेनी
पड़ रही है।

रोजाना का यह आंकड़ा सामने आ रहा है जिसमें साफ है कि आने वाले दिनों में स्थिति और खराब हो जाएगी। बताया जाता है कि सेंट्रल शेयर यानी जो केंद्र सरकार के उपक्रम हैं उनसे रोजाना 90 लाख यूनिट बिजली मिल रही है। इसमें 27 लाख यूनिट सतलुज जल विद्युत निगम क नाथपा झाखड़ी व रामपुर परियोजनाओं की हैं। इन परियोजना में भी उत्पादन काफी कम हो चुका है। इसके अलावा स्वतंत्र ऊर्जा उत्पादकों द्वारा लगाए गए बड़े व छोटे प्रोजेक्टों में भी मात्र 35 लाख यूनिट रोजाना की बिजली उत्पादित हो रही है। राज्य की रोजमर्रा की जो जरूरत है, वो 370 लाख से 380 लाख यूनिट के बीच की है। मौसम के बदलाव पर यह खपत निर्भर करती है। जैसे इन दिनों दोपहर में ठंड नहीं है और अच्छी धूप रहती है, तो बिजली की ज्यादा खपत नहीं हो रही है। ऐसे ही मौसम ठंडा होने पर बिजली ज्यादा इस्तेमाल होती है और बोझ बढ़ जाता है। यहां बिजली खरीदकर ही काम चल रहा है। फिलहाल स्थिति ऐसी ही बन रहती है, तो ज्यादा परेशानी होगी। ऐसे में बिजली बोर्ड को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा।
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