Women को दें मुफ्त शौचालय सुविधा

Update: 2024-06-22 09:49 GMT
Shimla. शिमला। प्रदेश हाई कोर्ट ने महिलाओं को मुफ्त शौचालय सुविधा सुनिश्चित करने हेतु नगर निगम शिमला व सुलभ इंटरनेशनल सोशल आर्गेनाइजेशन को जरूरी निर्देश जारी किए हैं। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई के पश्चात नगर निगम शिमला को आदेश दिए कि महिलाओं को मुफ्त शौचालय सुविधा संबंधी जानकारी का प्रचार प्रसार सभी उपलब्ध माध्यमों से किया जाए। कोर्ट को बताया गया था कि कोर्ट के आदेशों के बावजूद शौच के लिए महिलाओं से पांच रुपए का शुल्क अभी भी लिया जा रहा है। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए सुलभ इंटरनेशनल सोशल आर्गेनाइजेशन को निर्देश दिए कि अब यदि महिलाओं से शौच के लिए शुल्क वसूला गया तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा। कोर्ट ने आदेश दिण्नोटिस हिंदी भाषा में लगाए जाएं। कोर्ट ने इस बाबत दो सप्ताह का समय दिया है। जनहित याचिका एक महत्वपूर्ण पहलू शहरी क्षेत्रों में विशेष रूप से महिलाओं के लिए उपलब्ध सडक़ किनारे की सुविधाओं और शौचालय सुविधाओं के
संबंध में एक महत्त्वपूर्ण मुद्दे से संबंधित है।
यह मुद्दा बेहद महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह नागरिकों के स्वास्थ्य और विभिन्न स्थानों पर स्वच्छ और साफ सुथरी स्थिति में सार्वजनिक शौचालय रखने के अधिकारों के इर्द-गिर्द घूमता है। मानवीय गरिमा के साथ जीवन का अधिकार मानव सभ्यता के कुछ बेहतरीन पहलुओं को समाहित करता है, जो जीवन को जीने लायक बनाते हैं। कोई भी इनसान तब तक गरिमा के साथ नहीं रह सकता जब तक बुनियादी स्वच्छता बनाए रखने के लिए सार्थक सुविधाएं न हों। भारत का संविधान तब तक सार्थक नहीं हो सकता जब तक जनता को, खासकर महिलाओं को, स्वच्छ शौचालयों की सुविधा नहीं दी जाती। ये सुविधाएं कस्बों, बस स्टैंडों, बैंकों, सार्वजनिक कार्यालयों, नगरपालिका कार्यालयों, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स आदि में विभिन्न स्थानों पर प्रदान की जानी हैं। कोर्ट ने कहा कि इसे समझने के लिए किसी रॉकेट विज्ञान की आवश्यकता नहीं है। स्वच्छ और उचित शौचालय सुविधाओं की कमी के कारण गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। मामले पर अगली सुनवाई तीन जुलाई को होगी।
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