नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की अगुवाई कर रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) काफी गंभीर है. बीजेपी की कोशिश है कि राष्ट्रपति चुनाव में अधिक से अधिक वोट हासिल किया जाए जिससे जीत का अंतर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे. इसे लेकर एक ओर बीजेपी, एनडीए के घटक दलों के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं. वहीं दूसरी ओर विपक्षी खेमे में भी प्रचार-प्रसार पर पार्टी जोर दे रही है.
एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू देशभर में सांसदों और विधायकों से मिलकर अपने लिए वोट मांग रही हैं. दूसरी ओर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की कोशिश है कि उनका एक भी वोट खारिज या अवैध घोषित न हो. गौरतलब है कि पिछले राष्ट्रपति चुनाव में लगभग दो दर्जन सांसदों और सैकड़ों विधायकों के वोट खारिज हो गए थे. बीजेपी इसी को रोकने के लिए खास रणनीति बना रही है.
द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में एनडीए के सभी सांसदों की 17 जुलाई को बैठक होनी है. कहा जा रहा है कि इस बैठक के बाद राष्ट्रपति चुनाव में मतदान की प्रक्रिया की ही तरह डमी वोटिंग कराई जाएगी. एनडीए के सभी सांसदों को वोट डालने की प्रैक्टिस कराई जाएगी और अगर कोई सांसद किसी भी प्रकार की गलती करता है तो उसे उसकी गलती बताई जाएगी जिससे जब वास्तविक मतदान हो तो किसी गलती की गुंजाइश ना रहे.
विधायकों को भी इसी तरह वोटिंग की प्रैक्टिस कराने को लेकर बीजेपी के संगठन महामंत्री बीएल संतोष बैठक कर चुके हैं. इसके लिए बीएल संतोष ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर प्रत्येक राज्य में नियुक्त चुनाव अधिकारियों को विशेष निर्देश भी दिए हैं. दरअसल बीजेपी चाहती है कि पिछली बार एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को मिले वोट से अधिक वोट इस बार की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को मिलें.
बता दें कि रामनाथ कोविंद को पिछली बार 65.65 फीसदी और मीरा कुमार को 34.35 फीसदी वोट मिले थे. रामनाथ कोविंद को मिले वोट की वैल्यू 7,02,044 थी. जबकि मीरा कुमार को मिले कुल वोट की वैल्यू 3,67,314. हालांकि, 2002 में एनडीए ने एपीजे अब्दुल कलाम को अपना उम्मीदवार बनाया था तो उनको कुल पड़े वोटों में से 89.6% वोट मिले थे और इनकी कुल वैल्यू 9,22,884 थी जबकि कैप्टन लक्ष्मी सहगल को सिर्फ 10.4% वोट ही मिल सके थे. कैप्टन लक्ष्मी सहगल को मिले वोट की कुल वैल्यू 1,07,366 थी.