मेहनत के आगे हार गया 'गरीबी': हॉकर के बेटे ने UPSC में हासिल की 45वीं रैंक, बना अफसर

Update: 2021-09-26 10:44 GMT

UPSC Topper Anil Basak: बिहार के किशनगंज के फेरीवाले के बेटे अनिल बसाक ने UPSC सविल सर्विस परीक्षा में 45वीं रैंक हासिल की है. वर्ष 2014 में अनिल ने पहली बार प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली की प्रवेश परीक्षा पास कर अपने परिवार और रिश्तेदारों का मान बढ़ाया था. लेकिन यह उनकी सफलता की छलांग का केवल पहला चरण था. उस समय बिहार से दिल्ली आए बसाक को इस बात का अंदाजा नहीं था कि कुछ साल बाद वह सिविल सेवा परीक्षा को पास करने वाले शीर्ष 50 में शामिल होंगे.

अनिल ने न्यूज़ चैनल आज तक से कहा, "मुझे 2014 में IIT दिल्ली में चुना गया था. जब मैं अपने सिविल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम के तीसरे वर्ष में पहुंचा, तो मैंने सिविल सर्विस एग्‍जाम की तैयारी शुरू कर दी. यह अगस्त 2016 का समय था". अनिल अपने पहले प्रयास में वर्ष 2018 में यूपीएससी की प्रीलिम्‍स परीक्षा पास नहीं कर सके थे. रिजल्‍ट देखकर पहले वह निराश हो गए थे.
उन्‍होंने कहा, "मैंने 2016 और 2018 के बीच बहुत प्रयास किया लेकिन फिर भी मैं प्रीलिम्स पास नहीं कर सका. शायद इसकी वजह मेरी गलत रणनीति थी और मैं घमंडी हो गया था कि अगर मैं IIT-दिल्ली क्रैक कर सकता हूं और मैं किसी भी परीक्षा को क्रैक कर सकता हूं."
इसके बाद उन्होंने खुद को और अपने साहस को याद किया और विनम्र बन गए. अपने दूसरे अटेम्‍प्‍ट में उन्होंने सिविल सर्विस एग्‍जाम में सफलता प्राप्त की और IRS में 616वीं रैंक पाई. यह उनका तीसरा अटेम्‍प्‍ट था और आखिरकार बसाक ने एग्‍जाम में 45 वीं रैंक हासिल की. बसाक ने कहा, "सही बताऊं तो परिस्थितियां कठिन थी, और उन्हीं परिस्थितियों ने मुझे मजबूत बनाया. संभवतः, यह कठिन समय था जिसने मेरी परीक्षा ली, और मुझे ताकत भी दी.
IIT दिल्‍ली से सिविल इंजीनियर ग्रेजुएट अनिल कहते हैं, "मैं उत्साहित हूं और मेरे पिता और मां सातवें आसमान पर हैं. वे मेरी सफलता के निर्माता हैं. उन्होंने आगे इस बात पर जोर दिया कि कैसे उनके पिता ने उनकी शैक्षिक और व्यावसायिक सफलता की कहानी को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्‍होंने कहा, "मेरे पिता के कारण, हम समाचार प्रेमियों का परिवार हैं. घर पर, हम सब आजतक सहित टीवी समाचार चैनलों से बहुत सारी खबरें देखते थे. बचपन में, जब हम समाचार चैनलों न्‍यूज देखा करते था और मुझे नहीं पता था कि इन्‍हीं समाचारों को सुनकर मैं एक दिन एक IAS ऑफिसर बन जाऊंगा."
अनिल अपने प्राथमिक विद्यालय के एक स्कूल शिक्षक जय शंकर को भी अपनी सफलता का श्रेय देते हैं, जिन्होंने उनके करियर की आधारशिला रखी थी. बसाक परिवार में चार भाइयों में दूसरे नंबर पर हैं. उनके बड़े भाई एक कामकाजी पेशेवर हैं और दो छोटे भाई अभी भी अपनी पढ़ाई कर रहे हैं. अनिल ने कहा, "मेरे पिता ने केवल चौथी कक्षा तक ही पढ़ाई की थी लेकिन वह कई भाषाएं बोलते हैं. मेरे परिवार ने घोर गरीबी की स्थिति देखी है. मेरे पिता एक फेरीवाले के रूप में काम करते थे. उन्होंने अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए राजस्थान में हाउस हेल्प के रूप में भी काम किया था."
परिवार पहले किराए के घर में रहा करता था और फिर उनके पास एक कच्चा घर था. बाद में उनके पिता-नाम-ने एक पक्का घर बनाया. अनिल ने कहा कि घर पर बहुत कुछ करने की जरूरत है. उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. उन्‍हें अपने परिवार की देखभाल करनी है और उन्‍हें उम्मीद है कि वे सिविल सर्विस एग्‍जाम क्लियर करने के बाद वह उनके सपनों को पूरा कर पाएंगे.
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