पटना (आईएएनएस)| बिहार में शराबबंदी कानून लागू हुए करीब सात साल गुजर गए, लेकिन इस कानून को लेकर अब भी सवाल उठाए जाते रहे हैं। सबसे बड़ी बात है कि इस कानून को लेकर सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक सवाल उठाता रहा है। यह भी सत्य है कि शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद भी राज्य में प्रतिदिन कहीं न कहीं से शराब बरामदगी की खबर मिलती रहती है। सत्ताधारी महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी शराबबंदी कानून को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। पिछले दिनों एक कार्यक्रम में तो उन्होंने कार्यक्रम में शामिल उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से शराबबंदी कानून को वापस लेने की मांग करते हुए इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात करने तक का अनुरोध कर दिया।
इधर, राजद भी इस कानून को लेकर की जा रही कारवाई के विरोध में खड़ा नजर आ रहा है। राजद के नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने भी इस कानून में पासी और मुसहर जाति को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है।
चौधरी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि शराबबंदी कानून ठीक है लेकिन इस कानून के तहत गरीब लोगों को ही निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछड़े, अति पिछड़े, दलित महादलित वर्ग के लोग ही ज्यादातर शराबबंदी कानून के तहत पकड़े जा रहे हैं, इसलिए शराब बंदी कानून की समीक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि पासी और मुसहर समुदाय इस कानून से प्रताड़ित हो रहे हैं।
चौधरी ने कहा कि शराबबंदी कानून को लेकर जो सख्ती अपनाई जा रही है, उससे अच्छा मैसेज नहीं जा रहा है। पासी और मुसहर समुदाय के हजारों हजार लोग जेल गए, सब लोग प्रताड़ित हो रहे हैं। सब गरीब हैं और पिछड़े हैं।
महागठबंधन सरकार में सहयोगी कांग्रेस के विधायक दल के नेता अजीत शर्मा और जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने शराबबंदी को विफल करार देते रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी तो शुरू से ही शराबबंदी कानून की समीक्षा की बात कहते रहे हैं।
बोधगया में आयोजित बौद्ध महोत्सव कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से जीतन राम मांझी ने बिहार में शराब फिर से चालू करने की वकालत करते हुए कहा कि शराब को फिर से चालू कराने के लिए मुख्यमंत्री से बात कीजिए।
मांझी ने तेजस्वी से यह भी कहा कि अगर आप चाहिएगा, तो मुश्किल नहीं है। उन्होंने आगे यहां तक कहा कि 'अति सर्वत्र वर्जयेत'। ज्यादा नींबू गारने से तीखा हो जाता है।
उन्होंने कहा कि गया और बिहार में घूमने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आ रहे हैं, लेकिन वो घूमने के बाद यहां रुक नहीं रहे हैं। वे आस-पास के राज्यों में रुकते हैं क्योंकि बिहार में शराबबंदी है।
उन्होंने कहा कि जब वे बिहार में रुकेंगे ही नहीं तो बिहार में विदेशी मुद्रा से राजस्व कैसे बढ़ेगा? उन्होंने कहा कि शराबबंदी के कारण पर्यटकों की संख्या घट गई है, इसलिए आप (तेजस्वी ), मुख्यमंत्री से शराबबंदी वापस लेने की बात करें। इससे बिहार घूमने आए पर्यटक बिहार में ही रूकेंगे और बिहार की आय भी बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हालांकि इस कानून के वापस लेने की मांग को ठुकराते रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई बार यह कह चुके हैं कि महात्मा गांधी नशा मुक्त भारत देखना चाहते थे। वो कहते रहे हैं कि बिहार में उन्होंने महिलाओं के कहने पर शराब बंदी कानून लागू किया है, शराबबंदी की वजह से घरों में खुशहाली देखने को मिल रही है।