दिल्ली हाई कोर्ट में बच्चों पर कोवैक्सिन के टेस्ट को रोकने के लिए याचिका, 15 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

दिल्ली हाई कोर्ट में एक आवेदन में कोविड-19 से बचाव के लिए तैयार टीके कोवैक्सिन का दो से 18 साल आयु वर्ग पर हो रहे

Update: 2021-06-03 15:37 GMT

दिल्ली हाई कोर्ट में एक आवेदन में कोविड-19 से बचाव के लिए तैयार टीके कोवैक्सिन का दो से 18 साल आयु वर्ग पर हो रहे दूसरे और तीसरे चरण के मेडिकल टेस्ट को रोकने का अनुरोध किया गया है. भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) की तरफ से भारत बायोटेक को बच्चों पेर टीके का टेस्ट करने के लिए दी गई अनुमति रद्द करने के लिए दायर याचिका में ये आवेदन दाखिल किया गया है.

याचिकाकर्ता संजीव कुमार ने अपने आवेदन में दावा किया है कि मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है और केंद्र और भारत बायोटेक को नोटिस जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि मामले की सुनवाई जून महीने में शुरू हो गई है. उन्होंने कहा कि चूंकि अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान फैसले पर रोक नहीं लगाई, इसलिए सरकार टेस्ट पर आगे बढ़ रही है. कुमार ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को होनी है, ऐसी स्थिति में सरकार कह सकती है कि टेस्ट शुरू हो चुके हैं और ऐसे में डीसीजीआई की अनुमति को चुनौती देने वाली याचिका अब निष्प्रभावी हो गई है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 525 स्वस्थ स्वयंसेवकों पर टीके का टेस्ट किया जाएगा और उन्हें मांसपेशियों के जरिए दो खुराक (पहली खुराक के 28वें दिन दूसरी खुराक) दी जाएगी. कोवैक्सिन स्वदेशी टीका है, जिसे भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ मिलकर तैयार किया है और भारत में चल रहे वयस्कों के टीकाकरण अभियान में इस टीके का इस्तेमाल किया जा रहा है. कुमार ने अपनी मुख्य याचिका में आशंका जताई है कि टेस्ट में शामिल होने वाले बच्चों के स्वास्थ्य और मानसिक सेहत पर टीके के परीक्षण का दुष्प्रभाव पड़ सकता है.
उन्होंने दावा किया कि टेस्ट में शामिल होने वाले बच्चों को स्वयंसेवक नहीं माना जा सकता, क्योंकि वो टेस्ट के दुष्प्रभाव को समझ नहीं सकते और साथ ही इसके बारे में सहमति नहीं दे सकते. याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा कि स्वस्थ बच्चों पर टेस्ट मानव वध के सामान है और टेस्ट में शामिल किसी बच्चे के शांतिपूर्ण और आनंदपूर्ण जीवन में किसी तरह का खलल पड़ने पर ऐसे टेस्ट में शामिल या अनुमति देने वालों के खिलाफ आपराधिक मामला चलाया जाना चाहिए.


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