JNU के पूर्व प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल को पंडित कमलापति त्रिपाठी राष्ट्रीय सम्मान
वाराणसी। पंडित कमलापति त्रिपाठी की 118वीं जयंती के अवसर पर रविवार को औरंगाबाद में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इसमें जेएनयू के पूर्व आचार्य व प्रसिद्ध साहित्यकार प्रोफेसर पुरुषोत्तम अग्रवाल को एक लाख धनराशि सहित काशी के परम्परागत "पं.कमलापति त्रिपाठी राष्ट्रीय सम्मान" से सम्मानित किया गया। उन्होंने "नेहरू की धर्म दृष्टि" विषय पर विशेष व्याख्यान दिया। इसमें नेहरू की धर्म दृष्टि को भारत में समावेशी राष्ट्रवाद की पूरक बताया। उन्होंने कहा कि नेहरू नागरिकों की आस्था, विश्वास एवं उपासना की धार्मिक स्वतंत्रता के नैसर्गिक हक के कायल और संस्थापक थे। इस तरह वह न धर्म विरोधी थे और न धर्म उदासीन। वह पं.रामनरेश त्रिपाठी के साथ बैठकर मानस पाठ भी करते थे। एक बार उसके बाद कहा था कि मानस मात्र राम जीवन गाथा ही नहीं, एक प्रेरक आध्यात्मिक आख्यान है, जो हमारी संस्कृति की आत्मा रहा है। नेहरू मानते थे कि धर्म, भाषा, संस्कृति, लोक रीति रिवाज की व्यापक विविधता ही देश नहीं, विभिन्न धर्मों के बीच विविधता की गहरी आध्यात्मिक परम्पराओं का भी देश है भारत। उन सबके बीच समावेशी चेतना ही हमारी राष्ट्रीयता का मूल आधार है। विविध धर्मों के आध्यात्मिक मर्म एवं नैतिकता की अंतर्निहित चेतना ही सभी समुदायों को जोड़ कर सच्चे राष्ट्र को मूर्त बनाती है। उसकी साधना का मार्ग ही हमें बापू ने सिखाया। बेशक आधुनिक भारत निर्माण के यह बुनियादी तत्वों संग समावेशी राष्ट्रवाद की प्रतिनिधि संस्था कांग्रेस रही है। इसलिए हर कांग्रेसी को अनिवार्य रूप से नेहरू की 'भारत एक खोज' या 'हिन्दुस्तान की कहानी' जरूर पढ़नी चाहिए।
पं.कमलापति त्रिपाठी को स्मरण करते हुये उन्होंने कहा कि पंडित जी भारत में विद्वान राजनेताओं की अग्रणी पांत के नायक, लेखक एवं पत्रकार थे। गहरी सनातनी धार्मिकता, आक्षेपरहित धर्म निरपेक्षता और लोकतंत्र के साथ समाजवाद की अवधारणात्मक समन्वयक के प्रतीक थे त्रिपाठी जी। विशिष्ट अतिथि और उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि त्रिपाठी जी सिद्धांत, संघर्ष और समाज में समता एवं समन्वय की राजनीति की मिसाल के रूप में हमारे प्रेरणास्रोत हैं, जिनकी बताई जन राजनीति की राह पर चलकर उनकी विरासत की संस्था कांग्रेस के गौरव को हम पुनर्स्थापित करेंगे। स्वागत सम्बोधन में कमलापति त्रिपाठी फाउंडेशन अध्यक्ष राजेशपति त्रिपाठी ने कहा कि कि जिस सिद्धांतनिष्ठ कांग्रेस संस्कृति को कमलापति त्रिपाठी ने जिया, उसी पर चलकर कांग्रेस सफल हो सकती है और देश एकजुट एवं लोकतंत्र जीवंत रह सकता है। समारोह की अध्यक्षता विजयशंकर पांडेय ने किया। सम्बोधन पूर्व सांसद डा.राजेश मिश्र, सतीश चौबे एवं ओंकार सिंह ने किया। इसके पूर्व इंग्लिशिया लाइन स्थित कलमापति त्रिपाठी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि समारोह का आयोजन किया गया। विजयशंकर मेहता एवं विपिन मेहता ने कार्यक्रम का संयोजन किया। दिनेशपति त्रिपाठी, अंजलि त्रिपाठी, अम्बरीशपति त्रिपाठी, सुनयना पटेरिया ने मिलकर प्रो.अग्रवाल को पं.कमलापति त्रिपाठी सम्मान दिया। बैजनाथ सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन और विजय कृष्ण ने मंच संचालन किया। इस अवसर पर पूर्व विधायक ललितेशपति त्रिपाठी, अनिल श्रीवास्तव, बब्बन सिंह, डा.प्रमोद पाण्डेय, अत्रि भारद्वाज, अखिलेश मिश्र, एके लारी, राजेश्वर पटेल, राघवेंद्र चौबे, अजीत सिंह, डा.आरिफ, ब्रजेश राय, आनंद तिवारी, अजय शेखर, शैलेन्द्र सिंह,नृपेन्द्र सिंह आदि रहे।