Himachal Pradesh में अब फोरेस्ट लैंड की भी लीज

Update: 2024-08-03 10:10 GMT
Shimla. शिमला। हिमाचल में बिजली और अन्य विकास परियोजनाओं के लिए दी जाने वाली फोरेस्ट लैंड की अब लीज करवाना जरूरी होगा। राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश लीज रूल्स-2013 में बदलाव कर दिया है। राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार चंद शर्मा की ओर से इस बारे में अधिसूचना जारी की गई है। इससे पहले संशोधित लीज रूल्स का ड्राफ्ट नोटिफाई हुआ था। 30 दिन के भीतर अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व ने प्रभावित लोगों से आपत्तियां और सुझाव मांगे थे। फाइनल नोटिफिकेशन में सरकार ने कहा है कि कोई सुझाव नहीं मिले। वर्तमान में फोरेस्ट लैंड जब बिजली प्रोजेक्ट या विकास परियोजनाओं को दी जाती है, तो फोरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 के तहत इसकी मंजूरी लेनी पड़ती है। इस मंजूरी के लिए नेट प्रेजेंट वैल्यू यानी एनपीवी का भुगतान करना पड़ता है। इस भुगतान के नाम पर बिजली प्रोजेक्ट हिमाचल में
अलग से लीज नहीं कर रहे थे।

2006 में राजस्व विभाग ने ट्रांसफर की गई फोरेस्ट लैंड की भी लीज करने के निर्देश जारी किए थे। इन आदेशों के खिलाफ कुछ बिजली प्रोजेक्ट हाई कोर्ट चले गए थे। हाई कोर्ट ने भी इस मामले में फैसला लेने के लिए राज्य सरकार को कहा था, लेकिन लीज रूल्स में इसका प्रावधान नहीं था। इसीलिए राज्य सरकार ने अब लीज रूल्स को ही बदलने का फैसला लिया है। ट्रांसफर की गई फोरेस्ट लैंड की म्यूटेशन तभी होगी, जब बिजली प्रोजेक्ट राज्य सरकार के साथ लीज साइन करेंगे। फाइनल नोटिफिकेशन में कहा गया है कि यूजर एजेंसी को लैंड ट्रांसफर होने के छह माह के भीतर लीज एग्रीमेंट करना होगा। इसके बाद ही जमाबंदी में इसका नोट राजस्व विभाग चढ़ाएगा। लीज रेट को एक रुपए प्रति वर्ग मीटर से बढ़ाकर पांच रुपए प्रति वर्ग मीटर कर दिया गया है। साथ ही जो बिजली प्रोजेक्ट 40 साल के लिए एक साथ लीज मनी जमा करवाना चाहेंगे, उन्हें हर पांच साल के बाद होने वाली वृद्धि माफ कर दी जाएगी, यानी एक मुश्त भुगतान पर छूट मिलगी।
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