अब कभी किसी भी दल के साथ बसपा गठबंधन नहीं करेगी: मायावती

Update: 2024-10-11 08:48 GMT
नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने शुक्रवार को गठबंधन को लेकर बड़ा निर्णय लिया। बसपा प्रमुख ने सोशल मीडिया पर इस बात के संकेत दिए हैं कि उनकी पार्टी अब भविष्य किसी दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगी।
उन्होंने कहा कि हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणाम और इससे पहले पंजाब चुनाव के कड़वे अनुभव के मद्देनजर क्षेत्रीय पार्टियों से भी अब आगे गठबंधन नहीं होगा। जबकि, एनडीए और इंडिया गठबंधन से दूरी पहले की तरह ही जारी रहेगी। मायावती ने सोशल मीडिया पर एक के बाद एक कई पोस्ट कर इसकी जानकारी दी।
बसपा चीफ मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ''यूपी सहित दूसरे राज्यों के चुनाव में भी बीएसपी का वोट गठबंधन की पार्टी को ट्रांसफर हो जाने, किंतु उनका वोट बीएसपी को ट्रांसफर कराने की क्षमता उनमें नहीं होने के कारण अपेक्षित चुनाव परिणाम नहीं मिलने से पार्टी कैडर को निराशा और उससे होने वाले मूवमेंट की हानि को बचाना जरूरी है। इसी संदर्भ में हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणाम और इससे पहले पंजाब चुनाव के कड़वे अनुभव के मद्देनजर आज हरियाणा और पंजाब की समीक्षा बैठक में क्षेत्रीय पार्टियों से भी अब आगे गठबंधन नहीं करने का निर्णय लिया गया है, जबकि भाजपा/एनडीए और कांग्रेस/इंडिया गठबंधन से दूरी पहले की तरह ही जारी रहेगी।"
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा, ''देश की एकमात्र प्रतिष्ठित अम्बेडकरवादी पार्टी बीएसपी और उसके आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान मूवमेंट के कारवां को हर प्रकार से कमजोर करने की चौतरफा जातिवादी कोशिशें लगातार जारी हैं, जिस क्रम में अपना उद्धार स्वयं करने योग्य व शासक वर्ग बनने की प्रक्रिया पहले की तरह ही जारी रखनी जरूरी।''
आखिर में मायावती ने लिखा, ''बीएसपी विभिन्न पार्टियों/संगठनों व उनके स्वार्थी नेताओं को जोड़ने के लिए नहीं, बल्कि ’बहुजन समाज’ के विभिन्न अंगों को आपसी भाईचारा और सहयोग के बल पर संगठित होकर राजनीतिक शक्ति बनाने और उनको शासक वर्ग बनाने का आंदोलन है, जिसे अब इधर-उधर में ध्यान भटकाना अति-हानिकारक।''
बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। जहां भाजपा 48, कांग्रेस ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, बसपा अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। हालांकि, इनेलो ने बसपा के साथ मिलकर दो सीटों पर जीत हासिल की। बसपा को कुल 1.82 फीसदी वोट हासिल हुए हैं।
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