केंद्र और दिल्ली सरकार को संविदा डाक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को बीमा कवर नहीं देने पर नोटिस

उचित मेडिकल केयर और आर्थिक संरक्षण देने पर विचार करें।

Update: 2021-05-19 17:59 GMT

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संविदा डाक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को किसी तरह की आर्थिक मदद या बीमा सुविधा न उपलब्ध कराए जाने की शिकायत पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और दिल्ली सरकार से कहा है कि वह संविदा पर काम कर रहे और इलाज में लगे डाक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को उचित मेडिकल केयर और आर्थिक संरक्षण देने पर विचार करें। इसमें स्वास्थ्य बीमा को भी शामिल किया जाए ताकि इस मुश्किल समय में उन लोगों को निजी अस्पतालों में इलाज की सुविधा मिल सके।

मानवाधिकार आयोग ने मेडिकल केयर देने पर विचार करने को कहा
आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव और दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह में कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है। साथ ही सरकार से कहा है कि मेदांता अस्पताल के आइसीयू में भर्ती कोरोना संक्रमित दिल्ली के सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र अस्पताल के बालरोग सीनियर रेजीडेंट डाक्टर अमित गुप्ता को तत्काल उचित आर्थिक और अन्य मदद उपलब्ध कराए।
अभी उन्हें कोई भी आर्थिक मदद इसलिए नहीं मिल रही है क्योंकि वे संविदा (कांट्रेक्ट) पर नियुक्त हुए हैं। आयोग ने कहा कि यह चिंता की बात है कि इस महामारी के दौर मे दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के अस्पतालों में लोगों के इलाज में लगे संविदा डाक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को बीमार पड़ने पर मेडिकल केयर सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती।
कोर्ट ने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अस्पताल, बेड, आक्सीजन आदि का प्रबंध किया जा सकता है लेकिन मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ का नहीं। आयोग ने कहा कि एक तरफ तो कल्याणकारी राज्य के तौर पर सरकार सभी गरीबों को आयुष्मान भारत योजना के तहत पांच लाख तक का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराती है। इतना ही नहीं ईएसआइ योजना के तहत कामगारों को भी बीमा कवर उपलब्ध कराया जाता है। वहीं दूसरी तरफ हमारे कोरोना वारियर्स संविदा डाक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ बिना किसी स्वास्थ्य बीमा के काम कर रहे हैं।जहां काम करते थे, वहीं बेड नहीं मिला
आयोग को भेजी गई शिकायत में कहा गया है कि डाक्टर अमित गुप्ता को कोरोना संक्रमण हो गया। उन्हें अपने अस्पताल में बेड नहीं मिला तो महाराजा अग्रसेन अस्पताल भेजा गया। वहां भी उनकी हालत खराब होती गई और अब उनका गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में इलाज चल रहा है।
सिर्फ एम्स में काम करने वाले संविदा डाक्टरों को मिला है लाभ
एम्स के संविदा डाक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को इंप्लाइज हेल्थ सर्विस का लाभ मिलता है लेकिन केंद्र सरकार के अन्य अस्पतालों में काम करने वाले और दिल्ली सरकार के अस्पतालों में काम करने वाले संविदा डाक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को ये सुविधा नहीं मिलती। दिल्ली सरकार कोरोना वारियर्स के नहीं रहने पर परिजनों को एक करोड़ रुपये अनुग्रह राशि देती है लेकिन नौकरी के दौरान बीमार पड़ने पर उनका ध्यान नहीं रखा जाता।


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