Shimla. शिमला। प्रदेश में भू-स्खलन संभावित 50 इलाकों का चयन किया गया है। इनमें पीडब्ल्यूडी के साथ ही एनएचएआई की भी मूवमेंट रहेगी। एनएचएआई ने अपने अधीन क्षेत्रों में करीब 20 खतरनाक जगह तलाशी हैं, जबकि पीडब्ल्यूडी ने 30 जगहों को भू-स्खलन संभावित क्षेत्र के दायरे में रखा है। इन क्षेत्रों में विभाग जल्द ही बोर्ड लगाने का अभियान चलाएगा, ताकि क्षेत्र से गुजरने वाले वाहन चालक सतर्क हो पाएं। इसके अलावा नेशनल हाई-वे पर एनएचएआई जेसीबी तैनात करेगा, जबकि अंदरूनी इलाकों में पीडब्ल्यूडी लेबर, जेसीबी और भू-स्खलन से गिरने वाले मलबे को उठाकर दूसरी जगह ठिकाने लगाने के लिए टिप्पर की मदद ली जाएगी। पीडब्ल्यूडी ने मुख्य रूप से जो जगह चयनित की हैं, उनमें चुवाड़ी-लाहड़ू के बीच कालीधार के अलावा कांगड़ा, मंडी, कुल्लू और अप्पर शिमला के वे इलाके शामिल हैं, जिनमें बीते तीन-चार साल से लगातार भू-स्खलन हो रहा है। यहां विभाग निजी ठेकेदारों की मदद से मलबे को हटाएगा, जबकि जोगिंद्रनगर से मंडी के बीच एनएचएआई और पीडब्ल्यूडी दोनों ही मिलकर मार्ग को बहाल करने में पूरी ताकत झोंकेंगे। गौरतलब है कि पिछले साल आपदा के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान पीडब्ल्यूडी को हुआ था। प्रदेश में 19 पुलों के धराशायी होने के साथ ही सडक़ों पर जगह-जगह मलबा गिरने से विभाग को करोड़ों रुपए का नुकसान झेलना पड़ा था।
विभाग ने इसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंपी थी और इस रिपोर्ट के आधार पर राज्य और केंद्र सरकार से विभाग को मदद मिली थी। एनपी सिंह प्रमुख अभियंता पीडब्ल्यूडी ने बताया कि मानसून के दौरान कई इलाकों को संवेदनशीलता की श्रेणी में रखा गया है। यहां बारिश से भू-स्खलन होने और मलबा गिरने की संभावना है। इसके मद्देजनर पीडब्ल्यूडी पहले से ही तैयारी शुरू कर चुका है। आपदा के दौरान पिछले साल जिन जगहों पर भू-स्खलन हुआ था। उनमें विभाग किराए की जेसीबी तैनात करेगा। यहां विभाग के अपने कर्मचारी भी तैनात रहेंगे। भू-स्खलन होता है, तो तत्काल ही मशीनें मौके पर पहुंच कर इसे हटाएंगी। कुछ जगह ऐसी हैं, जहां हर साल मलबा गिरता है। यहां भी पीडब्ल्यूडी जेसीबी लगाएगा। अब्दुल बासित क्षेत्रीय अधिकारी एनएचएआई ने बताया कि एनएचएआई ने करीब 20 जगह ऐसी चयनित की हैं, जिनमें भू-स्खलन की संभावना है। यहां विभाग अपनी और किराए पर निजी जेसीबी की मदद से एनएच को बहाल करने का प्रयास करेगा। ये वे जगह हैं, जहां लगातार भू-स्खलन होता रहता है। भू-स्खलन होता है, तो नेशनल हाई-वे को बहाल करने का समय 60 मिनट तक रहेगा। जेसीबी तत्काल मौके पर पहुंच कर मलबा हटाने में जुटेगी और मार्ग में फंसे लोगों को राहत पहुंचाएगी।