नई दिल्ली: कालापानी मसले को भारत और नेपाल के बीच तनाव बना हुआ है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि नेपाल ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा क्षेत्रों में 'अनौपचारिक जनगणना' करवाई है। नेपाल इन क्षेत्रों पर अपना दावा करता रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नेपाल ने बताया है कि इस क्षेत्र में करीब 700 लोगों की आबादी है। नेपाल के अधिकारियों ने बताया है कि जनगणना कार्यकर्ता शारीरिक रूप से इन क्षेत्रों में नहीं पहुंचे। ऐसे में जनगणना के लिए गैर-पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल किया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक नेपाल ने आखिरी बार इस इलाके में 1961 में जनगणना किया था।
सेंट्रल ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स नेपाल के उप निदेशक हेमराज रेग्मी ने बताया है कि हमने भारत जाने वाले प्रवासी मजदूरों, बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा कर्मी और बॉर्डर पार नेपाली नागरिकों के रिश्तेदारों के जरिए डेटा जमा किया है। हम वास्तविक संख्या का पता लगाने के लिए सैटेलाइट का इस्तेमाल करेंगे।
भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद तब शुरू हो गया था जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई 2020 को 74 किलोमीटर घाटियाबागर-लिपुलेख रोड का उद्घाटन किया था। नेपाल ने कहा था कि वहां सड़क बनाने का एकतरफा फैसला 2014 के समझौते का उल्लंघन है। इसके बाद जुलाई 2020 में नेपाल ने एक नया नक्शा जारी किया जिसमें लिपुलेख, कालापानी, लिंपियाधुरा जैसे क्षेत्र को अपने हिस्से के तौर दिखाया। भारत और नेपाल दोनों कालापानी को अपना अभिन्न अंग बताते हैं। भारत उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के हिस्से के रूप में इसे दिखाता है वहीं नेपाल इसे धार्चुला जिले का हिस्सा बताता है।