New Delhi. नई दिल्ली। नीट पेपर Neet Paper मामले में केंद्र सरकार के बाद अब एनटीए ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दायर किया है. इसमें कहा है कि नीट यूजी परीक्षा रद्द न की जाए. एनटीए का कहना है कि कथित गड़बड़ी केवल पटना और गोधरा के परीक्षा केंद्रों में हुई थी. इसलिए व्यक्तिगत उदाहरणों के आधार पर पूरी परीक्षा रद्द नहीं की जानी चाहिए. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) से पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि वो इस परीक्षा को रद्द नहीं करना चाहती है. जब तक ये सबूत नहीं मिल जाता कि पूरे देश में पेपर लीक हुआ है, परीक्षा को रद्द करना ठीक नहीं होगा. परिणाम घोषित किए जा चुके हैं. ऐसे में परीक्षा रद्द करना लाखों होनहार परीक्षार्थियों के साथ धोखाधड़ी होगी। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी ने इस साल पांच मई को NTAनीट-यूजी परीक्षा कराई थी।
इसमें 571 शहरों के 4 हजार 750 परीक्षा केंद्रों पर करीब 23 लाख परीक्षार्थी शामिल हुए थे. इसके बाद पेपर लीक और अनियमितताओं के आरोपों की वजह से कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए थे. विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है. इस संबंध में देश की अलग-अलग अदालतों में कई मामले भी दायर किए गए हैं. ऐसे में परीक्षा रद्द करने, दोबारा परीक्षा कराने और कोर्ट की निगरानी में जांच कराने की मांग से जुड़ी याचिकाओं पर शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि परीक्षा में किसी बड़े पैमाने पर उल्लंघन का कोई सबूत नहीं है. सबूत के अभाव में परीक्षा और घोषित परिणामों को रद्द करना तर्कसंगत नहीं होगा. सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि परीक्षा को रद्द करने से लाखों ईमानदार उम्मीदवारों को नुकसान होगा. सरकार उन लाखों छात्रों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, जो कड़ी मेहनत के बाद परीक्षा में शामिल हुए हैं. इसलिए बिना किसी तथ्य के केवल अनुमान पर आधारित याचिकाओं को अस्वीकार करना चाहिए।