नक्सलवाद का होगा खात्मा: इस तर्ज पर होगी कार्रवाई, 50 नक्सल कमांडर्स टारगेट पर

Update: 2021-10-31 02:44 GMT

नई दिल्ली: देश के नक्सल इलाकों में करीब 50 नक्सल कमांडर सुरक्षा बलों के रडार पर हैं। ये आंध्र, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ सहित नक्सल प्रभावित राज्यों में सक्रिय हैं। सुरक्षा बलों ने केंद्रीय और राज्यों की खुफिया एजेंसियों के इनपुट पर समन्वय के साथ नक्सली कमांडर की हिट लिस्ट तैयार करके व्यापक अभियान चलाया है। खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के मुताबिक, 25 लाख रुपये का इनामी नक्सल कमांडर हिड़मा भी इसमें शामिल है। हालांकि, हिड़मा को बीमार बताया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों ने टॉप 50 नक्सल कमांडर्स की लिस्ट तैयार की है। जो छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में सक्रिय हैं।

सूची में शामिल हिड़मा बीजापुर में सीआरपीएफ और डीआरजी के खिलाफ हमले में शामिल है, जिसमें 23 जवान शहीद हो गए थे। वह बस्तर में हुई कई बड़ी नक्सली वारदातों का भी मास्टरमाइंड रहा है। सूत्रों ने बताया कि हिड़मा के अलावा सुकमा में सक्रिय रघु, पीएलजीए का नागेश और श्रीधर भी सुरक्षाबलों की हिट लिस्ट में शामिल हैं। खुफिया सूचनाओं के मुताबिक, नक्सलियों के एक सेंट्रल लीडर के अंतिम संस्कार में हिड़मा कुछ समय पहले शामिल हुआ था, वहीं पता चला कि वह काफी बीमार है। खुफिया एजेंसियों के इनपुट के बाद हिड़मा की तलाश के लिए आंध्र प्रदेश और तेलंगाना स्थित कई अन्य स्थानों पर तलाशी तेज की गई है। सुरक्षा एजेंसियों ने पुलिस की मदद से विजयनगरम, विशाखापत्तनम, विजयवाड़ा और वारंगल समेत कई इलाकों में छानबीन की है।
सूत्रों ने कहा कि सुकमा के अलावा नक्सलियों द्वारा बनाए जा रहे नए त्रिकोण भी सुरक्षा बलों के रडार पर है। महाराष्ट्र, तेलंगाना और ओडिशा के त्रिकोण पर घने जंगलों में प्रमुख नक्सलियों के छिपे होने की खबर मिली थी। खुफिया विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सुकमा, बस्तर, दंतेवाड़ा सहित नक्सल से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में नक्सल कमांडरों की रीढ़ तोड़ने की मुहिम जारी है। उन इलाकों में नक्सलियों का किला ध्वस्त करने की तैयारी है, जहां सघन जंगलों की वजह से सुरक्षा बल अमूमन नहीं घुस पाते। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कई नक्सल नेता मारे गए हैं। लेकिन टॉप लीडरशिप में बचे हुए कुछ बड़े चेहरे हिट लिस्ट में हैं। मालूम हो कि पिछले दो-तीन सालों में नक्सलियों ने बड़ी संख्या में आत्मसमर्पण किया है। साथ ही मुठभेड़ में मारे भी गए हैं। शीर्ष नक्सली नेताओं की भी बड़े पैमाने पर धरपकड़ हुई है।


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