ऐसे कथित मौलवियों का बहिष्कार करे मुस्लिम समाज

Update: 2024-08-25 04:21 GMT

तनवीर जाफ़री

जो इस्लाम धर्म अपने प्रवर्तक पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद के एकेश्वरवाद के मूल सिद्धांत के साथ साथ समानता,प्रेम,सद्भाव व करुणा की विशेषताओं के साथ उनके जीवन काल में ही विश्वस्तर पर प्रसारित हो चुका था वही इस्लाम हज़रत मुहम्मद के देहांत के बाद से ही तरह तरह की विचारधाराओं व मतों में विभाजित हो गया। पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद के वास्तविक इस्लाम की रक्षा के लिये जहाँ उनके उत्तराधिकारी हज़रत अली ने इस्लाम विरोधी शक्तियों से कई जंग लड़ीं वहीँ हज़रत अली के बेटे हुसैन ने इस्लाम को सल्तनत का पर्याय समझने वाले दुराचारी सीरियाई शासक यज़ीद के चंगुल से इस्लाम, इस्लामी सिद्धांत व उसकी पवित्रता को बचाने के लिये करबला में अपनी जान की क़ुरबानी दी। परंतु दुर्भाग्यवश विश्व का दूसरे नंबर का सबसे बड़ा धर्म होने के बावजूद आज इसी इस्लाम में सैकड़ों वर्ग बन चुके हैं। यहाँ तक कि कई वर्गों में आज भी ख़ूनी संघर्ष होते आ रहे हैं। मुसलमानों के इसी परस्पर मतभेद का नतीजा है कि आज दुनिया के कई देशों में मुसलमानों पर ज़ुल्म ढाये जा रहे हैं और एक अल्लाह एक क़ुरआन एक रसूल का मानने वाला परन्तु अनेक वर्गों में विभाजित मुस्लिम जगत असहाय होकर केवल तमाशाई बना बैठा है।

इस्लाम को जहाँ अनेक मुस्लिम आक्रांताओं,सुल्तानों,बादशाहों व हुक्मरानों ने अपनी सत्ता के स्वार्थवश अपने तरीक़े से परिभाषित किया और अपनी हुकूमत के विस्तार या उसकी रक्षा के लिये 'जिहाद ' की अवधारणा को कलंकित कर इस्लाम को बदनाम किया वहीँ विभिन्न वर्गों के मुल्लाओं व मौलवियों ने भी इस्लामी शरीया की आड़ में अपने मनगढ़ंत फ़तवे जारी कर इस्लाम को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिहाद और फ़तवा इन दो शब्दों का तो इन साम्राज्य्वादी मानसिककता के लोगों व मुल्लाओं ने इतना दुरूपयोग किया कि अब इस्लाम विरोधी शक्तियां इसका मज़ाक़ उड़ाने लगी हैं।

इसी इस्लाम धर्म में विवाह को लेकर भी यह व्यवस्था है कि किसी मुस्लिम लड़के/लड़की द्वारा आवश्यक हो तो अपने रिश्ते के चाचा और रिश्ते के मामा के लड़के/लड़की से शादी की जा सकती है। परन्तु अपनी सगी बहन की और सगे भाई की लड़की से शादी तो हरगिज़ नहीं होती। माता व पिता की बहन से शादी नहीं हो सकती। यदि लड़के की माँ ने किसी दूसरे की लड़की को अपना दूध पिलाया हो यानी दूध शरीक हो तो उस लड़के /लड़की से भी आपस में शादी नही हो सकती। चचेरी,मौसेरी,ममेरी भाई बहन (कज़िन ) में परस्पर शादी की परम्परा या प्रथा केवल इस्लाम में ही नहीं है बल्कि येरुशलम में अरबों में,पारसियों,यहूदियों,यहाँ तक कि दक्षिण भारत ख़ासकर कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश और तमिलनाडु के कई हिन्दू समुदायों में भी 'कज़िन' के साथ परस्पर शादी की परम्परा पाई जाती है। चचेरे भाई-बहनों के बीच विवाह को कुछ अमेरिकी राज्यों में भी क़ानूनी मान्यता प्राप्त है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार तो श्री कृष्ण ने अपनी बहिन सुभद्रा की शादी अपनी बुआ कुंती के पुत्र अर्जुन से कराई थी। सुभद्रा-अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु थे । परन्तु सगी बहन के साथ शादी का उल्लेख मानव जाति के किसी भी धर्म अथवा समुदाय में सुनने को नहीं मिला। हाँ यदि दुनिया में कहीं किसी आदिवासी क़बीले में ऐसा होता हो तो उसे अपवाद के रूप में देखा जा सकता है।

पिछले दिनों भारत में मौलाना जर्जिस अंसारी ने जोकि स्वयं के इस्लामिक उपदेशक होने का दावा करते हैं, ने विवाह को लेकर एक इतना आपत्तिजनक व विवादित बयान दे दिया जिससे हंगामा खड़ा हो गया और इस्लाम विरोधी शक्तियों को इस्लाम पर निशाना साधने का एक और मौक़ा मिल गया। मौलाना जर्जिस अंसारी ने ' उपदेश में ' कहा कि- "ये कितनी बड़ी बेअक़्ली की बात है कि लोग अपनी बहन से निकाह न करें और दूसरों की बहन बेटी के साथ निकाह कर रहे हैं।जबकि बहन आपने मिज़ाज को जानती है,वो जानती है मेरे भाई को ग़ुस्सा कब आता है,वो जानती है कि मेरे भाई का ग़ुस्सा कैसे दूर होता है। वो ख़ूबसूरत है वो हसीन भी है वो जमील भी है,लेकिन कितनी बड़ी बद अक़्ली की बात है कि एक भाई अपनी ख़ूबसूरत, हम मिज़ाज बहन को छोड़ कर दूसरे की बहन से शादी कर लेता है और अपनी बहन को किसी दूसरे के हवाले कर देता है? जब हमारी बहन हमारे लिये खाना बना सकती है,हमारे लिये बिस्तर लगा सकती है,हमारा सिर दबा सकती है हमें दवा खिला सकती है,मजबूरियों और परेशानियों में हमारा ख़याल रख सकती है तो उसके साथ शादी की लज़्ज़त क्यों हासिल नहीं की जा सकती? हसीन ो जमील और ख़ूबसूरत सरमाये को और हसीन ो जमील बहन को किसी दूसरे के हवाले कर दो और दूसरे का 'कबाड़ख़ाना' उठा कर अपने घर पर ले आओ "? आगे मौलाना फ़रमाते हैं कि -"आपसे आप लाख कहिये कि समाज इजाज़त नहीं देता,ये इजाज़त नहीं देता वो इजाज़त नहीं देता,नहीं,ये सब कहने वाली बात है। अगर अक़ल को ही आप दख़ल देंगे और हर चीज़ अक़्ल से सोचेंगे तो आप बताइये कि अक़्ली तौर पर इसमें क्या बुराई है ?कि मैं अपनी ख़ूबसूरत बहन को किसी ऐसे इंसान के हवाले कर दूँ कि जिसकी ज़िन्दिगी से हम वाक़िफ़ नहीं हैं ? जिसके ग़ुस्से गर्मी से हम वाक़िफ़ नहीं हैं ? जिसकी लाचाराना ज़िन्दिगी से हम वाक़िफ़ नहीं हैं, हम अपनी बहन को उसके हवाले कर दें और दूसरे की बहन को हम ले आयें जिससे हम वाक़िफ़ नहीं हैं ? आप बताइये अक़्ली तौर पर अक़्ल क्या कहती है "?

गोया इस मौलवी की नज़रों में भाई बहन की ही आपस में शादी की जानी चाहिये। जबकि दूसरे के घर की लड़की को यह मौलवी 'कबाड़' बता रहा है। इस मौलवी के बारे में पड़ताल करने पर पता चला कि सितंबर 2022 में इटावा के एक रेप केस में फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट-प्रथम ने इसे 10 साल के सश्रम कारावास की सज़ा सुनाई थी तथा इस पर 10,000 रुपय का जुर्माना भी लगाया था। वाराणसी के जैतपुरा इलाक़े की एक महिला ने इस मौलवी पर 2016 में बलात्कार का आरोप लगाया था। जर्जिस अंसारी महिलाओं और अनुसूचित जाति पर टिप्पणी करने के लिये भी विवादों में रहा है। यह धमकी भी दे चुका है कि यदि उसे देश से बाहर निकालने की कोशिश की गयी तो वह देश के कोने-कोने में 'जिहाद' करेगा। गोया अपने निजी कारणों के लिये यह जिहाद को भी सही ठहरा सकता है ? यह अपने प्रवचनों में संस्कृत और वेद व अनेक हिन्दू धर्म शास्त्रों का भी ज़िक्र करता रहा है। कहा जा सकता है कि यह उन चंद मोलवियों में शामिल है जिसे हिन्दू धर्म व संस्कृत जैसे विषयों की भी जानकारी है।

परन्तु उस ज्ञान का अर्थ यह नहीं कि आप अपने 'गोबर ' भरे दिमाग़ का ऐसा उपयोग करने लगें कि इंसान व जानवर में कोई अंतर ही न रह जाये। केवल पशुओं में ही भाई बहनों के शारीरिक सम्बन्ध होते हैं प्रबुद्ध मानवजाति में क़तई नहीं। इसके इस बयान से तो यही प्रतीत होता है कि या तो इसे इस्लाम धर्म व सिद्धांतों की सही जानकारी नहीं। यदि इसकी बात सही होती तो इसे पैग़ंबर, ख़लीफ़ा या इमामों के परिजनों में से किसी एक विवाह का कोई उदाहरण पेश करना चाहिये जहां भाई बहन की शादी हुई हो। या फिर इसे किसी ने अपना मोहरा बनाकर इस्लाम धर्म को और भी विवादित बनाने की कोशिश की है और यह किसी इस्लाम विरोधी ताक़त के हाथों का मोहरा बन चुका है। किसी दूसरे की बेटी को कबाड़ बताना भी इसकी विकृत मानसिकता को दर्शाता है। ऐसे अनैतिक, अति विवादित,आपत्तिजनक ,धर्म व मानवता विरोधी बयान देने वाले तथाकथित स्वयंभू मौलवियों का मुस्लिम समाज को सम्पूर्ण बहिष्कार करना चाहिये। 

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