भारत समेत 75 देशों में फैला मंकीपॉक्स, लेकिन ये अच्छी खबर भी आई

Update: 2022-07-28 05:46 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: मंकीपॉक्स (Monkeypox) वायरस के रूप में पूरी दुनिया में खड़े हो रहे संकट के बीच एक अच्छी खबर सामने आई है. इस वायरस के स्ट्रेन को आइसोलेट करने में भारत ने सफलता हासिल कर ली है.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (ICMR-NIV) पुणे ने मंकीपॉक्स वायरस के स्ट्रेन को आइसोलेट कर लिया है. यह इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की ही एक संस्था है. अब इस वायरस को वैक्सीन और डायगनोस्टिक किट बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
ICMR ने वायरस को आइसोलेट और शुद्धिकरण (purification) करने की विधि (method) और प्रोटोकॉल के बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights) और कमर्शियल राइट्स को सुरक्षित कर लिया है.
अब ICMR मंकीपॉक्स की वैक्सीन के डेवलपमेंट के लिए आइसोलेट वायरस का इस्तेमाल कर सकता है. इसके लिए जल्द दवा, फार्मा और वैक्सीन निर्माता कंपनियों के साथ करार किया जा सकता है.
मंकीपॉक्स (Monkeypox) के बढ़ते खतरे के बीच इसकी वैक्सीन को लेकर तैयारी तेज हो गई है. सरकार इसके लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरस्ट (EOI) या कहें टेंडर लेकर आई है. ये EoI मंकीपॉक्स की वैक्सीन बनाने, उसका पता लगाने (जांच करने) वाली किट के लिए निकाला गया है.
केंद्र सरकार यह EoI पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मोड में लाई है. इसमें मंकीपॉक्स वैक्सीन, इसका जांच किट बनाई जानी है. अब इच्छुक दवा कंपनी 10 अगस्त तक EoI जमा कर सकती हैं. बता दें कि वैसे मंकीपॉक्स की वैक्सीन पहले से भी मौजूद है.
रिसर्च से मिली जानकारी के मुताबिक चेचक के खिलाफ किया गया टीकाकरण मंकीपॉक्स को रोकने में करीब 85% प्रभावी साबित हुआ है. वर्तमान समय में चेचक की ओरिजनल वैक्सीन अब आम जनता के लिए उपलब्ध नहीं हैं. वहीं, मंकीपॉक्स के लिए 2019 और 2022 में वैक्सीन एमवीए-बीएन और टेकोविरिमैट को मंजूरी दी जा चुकी है. ये भी अभी तक व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं हैं.
2019 में मंकीपॉक्स की रोकथाम के लिए संशोधित एटेन्युएटेड वैक्सीनिया वायरस (अंकारा स्ट्रेन) पर आधारित एक नए टीके को मंजूरी दी गई थी. यह दो खुराक वाला टीका है, जिसकी उपलब्धता सीमित है.
मंकीपॉक्स की रोकथाम और नियंत्रण के लिए वैक्सीनेशन की उपयोगिता का आकलन करने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं. कुछ देशों में ऐसे लोगों का वैक्सीनेशन करने की योजना है, जो जोखिम के बीच काम कर रहे हैं. इनमें प्रयोगशाला कर्मी, त्वरित प्रतिक्रिया दल और स्वास्थ्य कार्यकर्ता शामिल हैं.
दुनिया की बात करें तो मंकीपॉक्स 78 देशों तक फैल गया है. इन देशों में मंकीपॉक्स के 18 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं. इसमें से 70 फीसदी केस यूपोरियन क्षेत्रों से हैं. वहीं 25 फीसदी केस अमेरिकी रीजन वाले हैं. दुनिया में मंकीपॉक्स की वजह से अबतक पांच मौतें हुई हैं. इसके अलावा कुल केसों में से 10 फीसदी को हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत पड़ी है.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का कहना है कि मंकीपॉक्स के लिए टारगेटिड वैक्सीनेशन होना चाहिए. मतलब जिनको इससे ज्यादा खतरे के चांस हैं उनको टीका लगना चाहिए. इसमें हेल्थ वर्कर्स, लैब वर्कर्स और एक से ज्यादा सेक्सुअल पार्टनर वाले लोग शामि हैं. WHO का कहना है कि सबको मंकीपॉक्स का टीका लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
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