एम.के. स्टालिन की पार्टी को सलाह: केंद्र सरकार की योजनाओं में भ्रष्टाचार के उठायें मुद्दे

Update: 2023-09-16 10:28 GMT
चेन्नई,: केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक होने वाले संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र से एक दिन पहले 17 सितंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। विशेष सत्र के एजेंडे का खुलासा नहीं करने को लेकर केंद्र सरकार की हर तरफ से आलोचना होने के बाद सरकार ने एक 'अस्थायी' एजेंडे की घोषणा की, जिसमें दो विधेयकों पर लोकसभा में और दो पर राज्यसभा में चर्चा शामिल है।
लोकसभा में अधिवक्ता (संशोधन) विधेयक, 2023 और प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक, 2023 पर चर्चा होगी। ये विधेयक 3 अगस्त को राज्यसभा में पास हुए थे। दूसरी ओर, राज्यसभा सदस्य डाकघर विधेयक 2023 और मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यकाल) विधेयक 2023 पर चर्चा करेंगे, जो 10 अगस्त को राज्यसभा में पेश किए गए थे। सरकार ने अपने नोटिस में कहा कि औपचारिक संसदीय कामकाज के अलावा 'संविधान सभा से शुरू होने वाली 75 साल की संसदीय यात्रा: उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख' पर चर्चा होगी।
द्रमुक, जो 'इंडिया' गठबंधन का हिस्सा है, लोकसभा और राज्यसभा दोनों में सरकार पर हमला करेगी। पार्टी अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस बात का स्पष्ट संकेत दिया है। उन्होंने द्रमुक कार्यकर्ताओं और नेताओं से आह्वान किया है कि वे सनातन धर्म के मुद्दे पर ज्यादा जोर न दें और इसकी बजाय मोदी सरकार के नौ वर्षों के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार पर ध्यान केंद्रित करें।
स्टालिन ने कहा है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने हाल ही में केंद्र सरकार के 'सात घोटालों' का खुलासा किया है। उन्होंने भारतमाला परियोजना, द्वारका रैपिड ट्रांजिट परियोजना, टोल बूथ संग्रह, आयुष्मान भारत योजना, अयोध्या विकास परियोजना, ग्रामीण विकास से जुड़ी परियोजना और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की विमाण निर्माण योजना का हवाला दिया है।
मोदी सरकार द्वारा कथित भ्रष्टाचार पर स्टालिन का विस्तार से बोलना इस बात का संकेत है कि पार्टी उनके बेटे उदयनिधि स्टालिन, जो राज्य के पर्यटन और युवा मामलों के मंत्री भी हैं, द्वारा सनातन धर्म के खिलाफ शुरू किए गए हमले से पीछे हट रही है। कांग्रेस, शिवसेना और तृणमूल कांग्रेस सहित 'इंडिया' ब्लॉक के प्रमुख घटक दलों ने सनातन धर्म पर हमले से खुद को अलग कर लिया है। उदयनिधि स्टालिन के यह बयान देने के तुरंत बाद कि सनातन धर्म को मच्छर, डेंगू, मलेरिया और कोरोना की तरह खत्म करना होगा, भाजपा ने इसे भुनाया और कहा कि द्रमुक देश में सनातन धर्म में विश्वास रखने वाले 80 प्रतिशत हिंदुओं के नरसंहार का आह्वान कर रही है।
भाजपा ने कहा कि 'इंडिया' का मुख्य एजेंडा, जिसमें द्रमुक एक प्रमुख घटक है, हिंदुओं का नरसंहार था। इससे कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना घबरा गईं क्योंकि उन्हें पता है कि उनका कोर वोट बैंक प्रभावित होगा। इसके चलते इंडिया फ्रंट ने खुद को सनातन धर्म की बहस से अलग कर लिया और द्रमुक को अपना रुख बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा। अब पार्टी भी चर्चा से भटकाने की कोशिश कर रही है।
संसद के विशेष सत्र में सनातन धर्म मुद्दे पर द्रमुक सदस्यों और एनडीए के बीच तीखी बहस होने की संभावना है, जिससे देश के राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में इस विषय पर चर्चा का दोष कांग्रेस पर मढ़ा जा सकता है। द्रमुक के एक वरिष्ठ नेता, जो संसद सदस्य भी हैं, ने आईएएनएस को बताया, “हम द्रविड़ हितों से जुड़े हुए हैं और सौ प्रतिशत आश्वस्त हैं कि हमारी विचारधारा सनातन धर्म की विचारधारा से कहीं बेहतर है। हालाँकि 'इंडिया' के साथ केंद्र में भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए मोर्चा संभालते हुए, हमने फिलहाल इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। द्रमुक एक राजनीतिक दल है जो ईवीएस रामास्वामी पेरियार या 'थंथई' पेरियार के आदर्शों पर आगे बढ़ता है जो समानता के लिए खड़े थे।''
यह तय है कि विशेष सत्र के दौरान द्रमुक को सनातन धर्म मुद्दे पर जवाब देना होगा। अगर वह इससे पीछे भी हटती है तो भी भाजपा इस मुद्दे को उठाएगी। खबरों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिपरिषद से साफ तौर पर कहा है कि सनातन धर्म को चर्चा का मुद्दा बनाया जाए।
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