रिपोर्ट : लड़कियों की विवाह की न्यूनतम आयु है 18 वर्ष, लेकिन अधिक करने पर विचार-विमर्श
महिलाओं की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा कम उम्र में शादी और कम उम्र में मातृत्व है
महिलाओं की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा कम उम्र में शादी और कम उम्र में मातृत्व है। अभी कानून में लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष तय है। महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण और आर्थिक सशक्तीकरण के लिए उनकी शादी की आयु बढ़ाने पर मंथन चल रहा है। सरकार ने इसके लिए एक टास्क फोर्स गठित की थी, जिसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सरकार ने टास्क फोर्स की रिपोर्ट देखने के बाद कोई भी कदम उठाने से पहले पूरे मामले को एक सशक्त आधार देने के लिए मामला नीति आयोग के पास भेजा है। ताकि वह इस विषय पर गहराई से अध्ययन करके अपनी राय दे सके।
केंद्र सरकार ने शादी की उम्र और मातृत्व के बीच संबंध, मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) कम करने और लड़कियों का पोषण स्तर बेहतर करने के लिए महिलाओं से जुडे़ विभिन्न मुद्दों पर विचार के लिए चार जून, 2020 को एक कार्य दल (टास्क फोर्स) गठित किया था। इसमें लड़कियों की उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने पर भी सुझाव मांगे गए थे जिसमें लड़कियों की शादी की आयु बढ़ाने पर भी विचार शामिल था। सरकार ने टास्क फोर्स को सिफारिशों के साथ मौजूदा कानून में जरूरी संशोधनों पर भी सुझाव देने को कहा था। टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। सरकार ने रिपोर्ट जांचने के बाद इसे और सशक्त आधार देने के लिए इस मामले को अध्ययन के लिए नीति आयोग के पास भेजा है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने नीति आयोग से अनुरोध किया है कि वह भारत की महिलाओं के कम आयु में विवाह की स्थिति में उनके स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और आर्थिक सशक्तीकरण आदि पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव का अध्ययन करें। अभी तक जो अध्ययन उल्लेखित किए गए हैं वे ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय और दक्षिण एशियाई स्तर के हैं। भारत में इनके लागू होने की सीमा को सावधानीपूर्वक निर्धारित किए जाने की जरूरत है। इतना ही नहीं महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने नीति आयोग को बाल विवाह निरोधक (कर्नाटक संशोधन) अधिनियम 2016 के प्रभाव पर भी व्यापक अध्ययन करने का अनुरोध किया है।
पहले 15 साल थी शादी की उम्र
1978 में शारदा एक्ट में संशोधन करके लड़कियों की शादी की उम्र 15 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष की गई थी। जैसे-जैसे भारत तरक्की कर रहा है लड़कियों के शिक्षा और कैरियर के क्षेत्र में आगे बढ़ने के अवसर बन रहे हैं। ऐसे में महिलाओं की सेहत और सशक्तीकरण को देखते हुए एक बार फिर लड़कियों की विवाह की आयु बढ़ाने की मांग उठ रही है। इस बारे में कोर्ट में याचिकाएं भी लंबित हैं। एक याचिका वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल की है जिस पर सरकार को नोटिस जारी हो चुका है। इसके अलावा एक याचिका राजस्थान हाईकोर्ट में भी लंबित है। वहां भी हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है। दोनों ही याचिकाओं में कम उम्र में शादी से लड़कियों के विकास और प्रगति में पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव की बात कहते हुए लड़कियों और लड़कों दोनों की शादी की उम्र एक समान 21 वर्ष करने की मांग की गई है।